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उपायुक्त डॉ0 शालीन द्वारा 175 बाल कविताओं पर आधारित काव्य संग्रह का विमोचन किया गया

चांॅद-सितारे 175 बाल कविताओं पर आधारित एक काव्य संग्रह है जिसका विमोचन उपायुक्त डॉ0 शालीन द्वारा किया गया। इस अवसर पर डाइट मोहड़ा की प्रिंसीपल रेणु अग्रवाल और राजकीय आदर्श संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय समलेहड़ी ,अंबाला के पूर्व प्राचार्य नरेश कुमार मुदगल, काव्य संग्रह की संपादिका डॉ0 शिवा , ललित कला प्राध्यापिका, डाइट मोहड़ा, अंबाला भी उपस्थित रहे। इस काव्य संग्रह में राजकीय आदर्श संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय समलेहड़ी, अंबाला के पांचवी से 12वीं कक्षा के 175 विद्यार्थियों ने कविताएं लिखी हैं जो उन्हें के मनोभावों और विचारों को अभिव्यक्त करती हैं।  यह काव्य संग्रह विद्यार्थियों के लिए उनकी एक नई पहचान के रूप में जीवन पर्यंत उनका मार्गदर्शन करता रहेगा। उन्हें लिखने के लिए प्रेरित करता रहेगा। पिछले दो वर्षों में इस विद्यालय के विद्यार्थियों की दो अन्य पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं जिनमें एक काव्य संग्रह शीर्षक नन्हे पंख और पुस्तक आज़ादी के नायक है।

सामाजिक सरोकारों का मनोहारी इन्द्रधुनष - ‘चाँद सितारे ‘

      कोमल बालमन की संवेदनाओं का भावप्रवण एवं हृदय ग्राही प्रस्फुटन है कविता संग्रह , ‘चाँद सितारे ‘। जिस विद्यालय में डॉ. शिवा  जैसी समर्पित, संवेदनशील एवं प्रेरक शिक्षिका हों उस विद्यालय में बालमन की कल्पनाओं को पंख लग जाना स्वाभाविक ही है।डॉ. शिवा  के संपादन में बच्चों का यह तीसरा अभिनव एवं स्तुत्य प्रयास है ।आज के अर्थ प्रधान एवं आपाधापी वाले युग में जब मूल्यों का दिनोदिन क्षरण हो रहा हो,रिश्तों की गरिमा का अवमूल्यन हो रहा हो ऐसे में बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हुए उन्हें नैतिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता का पाठ पढ़ाना और उनमें रचनात्मकता का बीजारोपण करना सचमुच एक श्लाघनीय प्रयास है।

  छोटी से लेकर बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थियों ने अपने हृदय सागर में उमड़ती घुमड़ती कोमल संवेदनाओं को शब्द मोतियों का रूप देकर’ चाँद सितारे ‘ रुपी मणिमाला में बड़े जतन से पिरोया है।सामाजिक सरोकारों से जुड़े विभिन्न पहलुओं का निरूपण अत्यंत ख़ूबसूरती और बिना किसी लाग लपेट के किया गया है। समाज में ढहते रिश्तों के बियाबान में रिश्तों की पावन पयस्विनी का कविताओं में प्रवाहमान होना हृदय में पुलक  सी जगाने के साथ साथ आशान्वित भी करता है कि नन्हें मुन्ने रसातल में चली गयी सरस्वती को अवश्य एक बार पुन: सतह  पर ले आयेंगे ।

      माँ, पिता, भाई, बहन, ताई व  परिवार के अन्य सदस्यों से जुड़ी कविताओं में बच्चों के  हृदय में पारिवारिक व पारस्परिक प्रेम की सरिता बहती दिखाई देती है। बच्चों ने कविताओं में माँ प्रकृति ,मौसम ,बादल ,सूर्य और धरती माँ के प्रति कृतज्ञता जताते हुए होली, दिवाली, तीज व राखी सहित  विभिन्न त्योहारों के साथ जुड़े उल्लास को भी बख़ूबी रेखांकित किया है।महाराणा प्रताप जैसे महान शूरवीरों के साथ साथ बच्चों ने अपने शिक्षक -शिक्षिकाओं, किताबों व विद्यालय के प्रति भी अपने मनोभावों को शब्द दिए हैं । अपने प्रदेश हरियाणा और देश भारत के प्रति भी उनका अनुराग उनकी कविताओं में पल्लवित होता दिखाई देता है । पशु - पक्षी व फल  सब्जय़िों के प्रति प्रेम के निरूपण के साथ साथ चाय, कचौड़ी जैसे अपने प्रिय पेय व खाद्य पदार्थों पर भी उन्होंने क़लम चलायी है। विद्यालय में बिताये मनोहारी पलों के साथ साथ विद्यालय से विदा होने की कसक व पीड़ा का भी भावपूर्ण चित्रण कुछ कविताओं में हुआ है। जहाँ एक कविता में लडक़ी होने की पीड़ा और फिर कुछ कर गुजऱने को संकल्पित होना मन को द्रवित कर देता है वहीं एक और कविता में मातृभाषा हिंदी के प्रति अनुराग का चित्रण एक अनूठा संतोष प्रदान करता प्रतीत होता है ।

       समग्रत कविता संग्रह ,’ चाँद सितारे’ राजकीय मॉडल संस्कृति विद्यालय समलहेड़ी के विद्यार्थियों द्वारा डॉ. शिवा के निर्देशन व प्रेरणा से अपनी मनोभावनाओं के प्रस्फुटन का किया गया अभिनव प्रयास है जिसमें प्रत्येक सामाजिक पहलू को अत्यंत मनोयोग से चित्रित किया गया है ।प्रसन्नता व संतोष की बात यह है कि कुछ विद्यार्थियों ने इससे पूर्व प्रकाशित संग्रह में भी अपना योगदान दिया है। विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण में सहयोग देने के साथ साथ यह संग्रह उनमें सृजनात्मकता के पल्लवन और भविष्य में श्रेष्ठ व्यक्तित्व के रूप में उन्हें परिणत करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाएगा।

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