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Lamabani: हंपी की खानाबदोश महिला कारीगरों ने सबसे अधिक संख्या में बनाए कढ़ाई पैच, वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर

कर्नाटक की खानाबदोश महिलाओं ने एक विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया है। महिलाओं ने सबसे अधिक संख्या में कढ़ाई पैच बनाने का नया रिकॉर्ड बनाया है। हंपी की रहने वाली खानाबदोश 450 लंबनी महिला कारीगरों ने जी 20 कल्चर वर्किंग ग्रुप की बैठक में 1,755 से अधिक पैच वर्क बनाकर शिल्प कौशल का प्रदर्शन किया है। लंबानी कढ़ाई का एक रूप है। इसमें रंगीन धागों, शीशे और खास तरह की सिलाई शामिल है। 

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हुई

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव लिली पांडेय ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों में बंजारा समुदाय के लोग हैं। इस समुदाय की कशीदाकारी की समृद्ध परंपराएं हैं। इनकी महिलाएं सामान्य घरेलू सुई-धागे और रंग-बिरंगे कपड़ों के टुकड़ों से बेहद सुंदर कशीदाकारी से सजे वस्त्र तैयार करती हैं। जी-20 की बैठक में इस कला को प्रदर्शित किया गया और यह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो गई है। वही, अतिरिक्त महानिदेशक नानू भसीन ने बताया कि घुमंतू बंजारा समुदाय की महिलाओं की कशीदाकारी को वैश्विक पहचान मिल गई है।

पीएम ने दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  बधाई देते हुए कहा, सराहनीय प्रयास, जो लंबानी संस्कृति, कला और शिल्प को लोकप्रिय बनाने के साथ-साथ सांस्कृतिक पहल में नारी शक्ति की भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा।

महिलाओं ने नाम रौशन किया

फ्रांस के एक अधिकारी ने कहा कि महिलाओं ने अपने शिल्प कौशल और असाधारण प्रतिभा से दुनियाभर में नाम रौशन किया है। यह रिकॉर्ड सांस्कृतिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर में सभी को प्रेरित करेगी। इटली के प्रतिनिधि ने कहा कि विश्व रिकॉर्ड की उपलब्धि लंबानी कारीगरों की आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवंत सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण है।


कई पीढ़ियों को प्रेरित करेंगी

कारीगर शांता बाई ने बताया कि आज मैं बहुत खुश हूं। हमने गिनीज वर्ल्ड बुक में नाम दर्ज कराया है। काफी सम्मानित महसूस कर रहे हैं। यह हमारे उपलब्धि के लिए काफी मायने रखती है। अपनी प्रतिभा और विरासत को वैश्विक स्तर पर लाए, इससे हमें काफी खुशी मिल रही है। वहीं, कारीगर शकुंतला ने बताया कि हमारी उपलब्धियां कई पीढ़ियों को प्रेरित करेंगी। हम पारंपरिक कलाओं के लिए गर्व और प्रशंसा की भावना प्रज्वलित करने की उम्मीद करते हैं। 


ये है खास शैली

इस कशीदाकारी में पहले इकहरे धागे के टांके से शीशे को कपड़े पर स्थिर किया जाता है। इसके बाद उसे दोहरे धागे से पक्का करते हैं। अंत में ऊन के धागे से उसमें उभार लाते हैं। बंजारों के बनाए वस्त्र पूरी तरह हाथ की सिलाई से तैयार किए जाते हैं। हालांकि आजकल सिलाई मशीन का भी प्रयोग किया जाने लगा हैं। लंबानी कर्नाटक के कई गांव जैसे संदुर, केरी टांडा, मरियम्मनहल्ली, कादिमरामपुर, सीताराम टांडा, बीजापुर और कमलापुर में मुख्य रूप से प्रचलित है। 

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