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राष्ट्रकवि दिनकर के गांव सिमरिया में आयोजित सहस्त्र चंडी महायज्ञ सम्पन्न

बेगूसराय, 16 मई (हि.स.)। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के पैतृक गांव सिमरिया में आयोजित नौ दिवसीय सहस्र चंडी महायज्ञ पूजन और हवन के साथ संपन्न हो गया। पंडित डॉ. विश्वंभर पाठक के नेतृत्व में 65 ब्राह्मणों ने महायज्ञ की पूर्णाहुति वैदिक विधि-विधान के साथ किया। वहीं, देर शाम सांस्कृतिक मंच से विख्यात भजन गायिका तृप्ति शाक्या के भजन से श्रद्धालु झूमते रहे। भजन गायिका तृप्ति शाक्या ने देवी भजन से गायन शुरू किया। उन्होंने ''निमिया के डाली मैया झूले ली झूलनिया की झूमी-झूमी ना'' एवं ''कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभु जी चले आना जैसे दर्जनों भजन सुनाया। दूसरी ओर हजारीबाग से आए भागवत गीता मनीषी फलाहारी बाबा ने प्रवचन के दौरान कहा कि यज्ञ पहले ऋषि मुनि किया करते थे। भगवान राम और कृष्ण ने भी यज्ञ के लिए अपना जीवन दिया। 

यज्ञ करने से जीवन में समृद्धि आती है। वैज्ञानिकों ने भी शोध के बाद कहा है कि इससे वायुमंडल शुद्ध होता है। गाय का घी जलने से कई तरह के कीटाणु नष्ट होते हैं। प्रवचन के बाद राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश कुमार सिन्हा यज्ञ स्थल पर पहुंचे। उन्होंने सांस्कृतिक मंच से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भौतिकता की एक सीमा होती है, लेकिन अध्यात्म अनंत होता है। उन्होंने कहा कि सिमरिया का नाम विश्व पटल पर राष्ट्रकवि दिनकर की ख्याति को लेकर प्रसिद्ध है। दिनकर पथिक नहीं बल्कि पथ हैं। दिनकर के आवास को राष्ट्रीय धरोहर घोषित होना चाहिए। उन्होंने सिमरिया में अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन आयोजित कराने का प्रस्ताव सिमरिया वासियों को दिया। स्थानीय लोगों की मांग पर आश्वासन दिया कि रेलमंत्री से मिलकर सिमरिया और बीहट के बीच रेल लाइन पर पुल निर्माण को लेकर पहल करेंगे।

 मौके पर पूर्व जिलाध्यक्ष संजय सिंह, पूर्व जिला अध्यक्ष राज किशोर सिंह, सांसद प्रतिनिधि शंभू कुमार, राजेश कुमार एवं बिट्टू कुमार मंचासीन थे। इस दौरान दिनकर पुस्तकालय के स्टॉल के समापन को लेकर गोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता पुस्तकालय के अध्यक्ष विश्वंभर सिंह एवं संचालन सचिव संजीव फिरोज ने किया। मौके पर साहित्यकार ई. कन्हाई पंडित ने दिनकर की रचनाओं पर विचार प्रकट करते हुए कहा कि दिनकर की रचनाएं हमेशा प्रासंगिक रहेगी।
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