राजस्थान के 5 जिलों में ही कोरोना के 57 प्रतिशत से ज्यादा रोगी

जयपुर, 16 नवम्बर (हि. स.)। राजस्थान में कोरोना महामारी के संक्रमण से नए संक्रमितों की तादाद कम होने से प्रदेशवासियों को उम्मीद बंधी थी कि अब इस महामारी से आमजन को राहत मिलेगी, लेकिन अब कोरोना के संक्रमण ने दोबारा रफ्तार पकड़ ली है। हालत यह है कि प्रदेश के 5 जिलों जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, अजमेर व अलवर में ही कुल संक्रमितों के 57 प्रतिशत से अधिक मरीज हैं, जबकि शेष 28 जिलों में 43 फीसदी मरीज मिले हैं।
प्रदेश में दिवाली पर कोरोना के मरीजों का आंकड़ा 2.25 लाख के पार पहुंच चुका है। राज्य में इस समय रिकवरी रेट 91.10 प्रतिशत बनी हुई है। प्रदेश में अब तक 2 लाख से ज्यादा मरीज संक्रमण से राहत पाकर घरों को लौट चुके हैं, लेकिन पॉजिटिव मरीजों की बढ़ती संख्या चिंता बढ़ा रही है।
प्रदेश में अब तक 40 लाख 15 हजार 598 लोगों की सैम्पलिंग की जा चुकी है। यह संख्या काफी कम है। राज्य में अब भी प्रतिदिन केवल 21 हजार लोगों की सैम्पलिंग हो रही है। प्रदेश में भर्ती रोगियों की संख्या भी बढक़र 18 हजार 337 तक पहुंच चुकी है। दिवाली पर सक्रिय रोगियों का प्रतिशत भी 8 फीसदी हो गया है।
राजधानी जयपुर में पिछले 5 दिन से लगातार 450 से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं। पिछले पांच दिनों में जयपुर में 2289 नए कोरोना पॉजिटिव केस आने से शहरवासियों और चिकित्सा महकमे की चिंता बढ़ गई है। जयपुर में 40 दिन बाद रविवार को एक ही दिन में रिकॉर्ड 498 नए केस सामने आए हैं। यहां अभी 5 हजार 896 केस सक्रिय हैं।
राजस्थान में कोरोना संक्रमण का पहला मामला मार्च में सामने आया था, जब इटली से आए 2 पर्यटक सबसे पहले राजस्थान में पॉजिटिव पाए गए थे। इसके बाद हर दिन संक्रमित केस की संख्या बढऩे लगी। 2 मार्च को प्रदेश में सबसे पहला संक्रमित मिलने के बाद शुरुआती 2 माह में 100 से 150 संक्रमित मरीज हर दिन सामने आए। जून में हर दिन औसतन 300 से 400 नए मरीज मिले। जुलाई में हर दिन संक्रमित मरीजों का आंकड़ा बढक़र 1000 से ऊपर पहुंच गया। अगस्त में आंकड़ा 1500 के करीब पहुंचा। जबकि, सितंबर में हर दिन 2000 से अधिक संक्रमित मामले देखने को मिले। अक्टूबर में एकाएक संक्रमित मामलों में गिरावट देखने को मिली और आंकड़ा 1800 के करीब पहुंच गया।
आंकड़ों से पुष्टि होती है कि जहां संक्रमण के शुरुआती दौर में महज 100 से 150 मामले सामने आ रहे थे, वहीं जून में एकाएक आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई और सितंबर तक प्रदेश में हर दिन 2000 से अधिक मामले कोरोना के सामने आए। अक्टूबर में संक्रमण की दर घटने लगी और एक राहत की उम्मीद नजर आई, लेकिन नवम्बर का एक सप्ताह बीतते ही कोरोना के केसेज दोबारा बढऩे लगे। सर्दी के मौसम में मौसमी बीमारियों का खतरा सबसे अधिक होने के कारण अब सरकार और चिकित्सा विभाग कोरोना की दूसरी लहर को लेकर चिंतित हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप