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मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद मरीजों की रोशनी जाने के मामले को गुजरात हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया

अहमदाबाद जिले की विरमगाम तहसील के मांडल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन मामले को गुजरात हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य सचिव और ग्रामीण पुलिस अधीक्षक को नोटिस भेजा है। जज एएस सुपेहिया और जज विमल व्यास की संयुक्त बेंच ने समाचार पत्रों की रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है। हाई कोर्ट ने सरकार से मामले की प्राथमिक जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा है। अब 7 फरवरी को मामले पर सुनवाई की जाएगी। वकील हार्दिक ब्रह्मभट्ट ने बताया कि बुधवार को गुजरात हाई कोर्ट के जज एएस सुपेहिया और जज विमल व्यास की संयुक्त बेंच के समक्ष याचिका दाखिल की गई है। समाचारों के अनुसार मांडल की रामानंद ट्रस्ट संचालित हॉस्पिटल में 10 जनवरी को 29 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था। ऑपरेशन के बाद 17 लोगों की आंख की दृष्टि कम हो गई। इसके बाद 5 लोगों को अहमदाबाद के असारवा सिविल हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया है। अभी भी 12 लोगों का रामानंद ट्रस्ट हॉस्पिटल में ही इलाज किया जा रहा है। वकील ब्रह्मभट्ट ने बताया कि कोर्ट ने इस क्षेत्र के पुलिस अधीक्षक और राज्य सरकार को नोटिस भेजते हुए प्राथमिक जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है। मामले की सुनवाई 7 फरवरी को होगी। पीड़ित लोगों में 9 लोग अहमदाबाद के, 12 सुरेन्द्र नगर के और 8 पाटण जिले के बताए गए हैं। अहमदाबाद के असारवा सिविल हॉस्पिटल के अनुसार ऑपरेशन के बाद आंख में डाले गए ड्रॉप से संक्रमण होने का अनुमान है। हालांकि, अभी तक किसी मरीज के दृष्टिहीन होने की जानकारी नहीं है। घटना के बाद प्रशासन भी सक्रिय हो गया है। स्वास्थ्य विभाग के उप निदेशक की अध्यक्षता में 9 विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने मांडल हॉस्पिटल जाकर मामले की जांच की। रामानंद ट्रस्ट के हॉस्पिटल के सभी ऑपरेशन रद्द कर दिए गए हैं। जांच में पता चला कि एक जनवरी से 10 जनवरी तक 74 लोगों के आंख के ऑपरेशन किए गए थे। प्रशासन अन्य लोगों से भी सम्पर्क कर रहा है।
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