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धमतरी: अंचल में रबी फसल की तैयारी शुरू, खेतों में तैयार हो रही धान की नर्सरी

जिले में ग्रामीण अंचल में रबी फसल की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए बकायदा खेत में धान की नर्सरी तैयार की जा रही है। पखवाड़े भर बाद धान की रोपाई भी शुरू हो जाएगी। शासन द्वारा तमाम प्रचार-प्रसार के बाद भी किसान धान की पैदावार लेने का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। यही वजह है कि बड़े पैमाने पर धमतरी जिले में इस साल भी रबी फसल के रूप में धान की फसल तैयार होगी। सिंचाई साधन सम्पन्न किसानों ने इन दिनों रबी फसल के रूप में धान की पैदावार लेने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। धान की नर्सरी भी तैयार की जा रही है। शहर से लगे हुए ग्राम रूद्री , लोहरसी, पोटियाडीह, अर्जुनी,खपरी, भानपुरी, देमार, श्यामतराई, मुजगहन, खरतुली, कुर्रा, कोर्रा सहित अधिकांश गांव के खेतों में धान की रोपाई के लिए धान की नर्सरी तैयार की जा रही है। पखवाड़े भर बाद इसकी रोपाई भी शुरू हो जाएगी। मालूम हो कि कुछ साल शासन ने भूजल के गिरते स्तर को देखते हुए किसानों से रबी फसल के रूप में धान की बजाय दलहन- तिलहन की फसल लगाने की अपील किसानों से की थी जिसका सार्थक असर भी देखने को मिला। अधिकांश किसानों ने धान की फसल छोड़ दलहन- तिलहन की फसल लगाई थी। जिसमें पानी की खपत कम होती है। धमतरी जिले का जलस्तर भी बढ़ गया। इस साल विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता परिवर्तन हो गया है। अब तक किसी तरह का निर्देश किसानों को नहीं मिला है। ऐसे में सिंचाई सम्पन्न किसानों ने रबी फसल में धान की पैदावार लेने की तैयारी शुरू कर दी है। ग्राम पोटियाडीह के पवन कुमार देवांगन, राम साहू, प्रेम कुमार देवांगन ने बताया कि मोटर पंप की सुविधा होने के कारण कई किसानों ने रोपाई के लिए धान की नर्सरी की तैयारी शुरू कर दी है। थरहा रोपाई योग्य होते ही रोपाई शुरू कर दी जाएगी। ग्राम ईर्रा के गंभीर साहू, वेदप्रकाश साहू ने बताया कि खरीफ फसल की तुलना में रबी फसल में धान का उत्पादन अधिक मिलता है, क्योंकि तेज गर्मी के कारण धान फसल में लगनेवाली कई प्रकार की कीट व्याधि रबी फसल में देखने को नहीं मिलती। जानकारी के अनुसार इस साल रबी फसल के लिए शासन स्तर से लक्ष्य निर्धारण का आदेश नहीं आया है। फसल चक्र परिवर्तन से बढ़ती है जमीन की उर्वरा शक्ति कृषि विभाग के उपसंचालक मोनेश साहू ने कहा कि जिले में भूजल के गिरते स्तर को देखते हुए किसानों को धान की जगह रबी फसल के रूप में दलहन तिलहन उत्पादन लेना चाहिए, क्योंकि धान की फसल के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है।फसल चक्र परिवर्तन से जमीन की उर्वराशक्ति भी बढ़ती है। इसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। फसल चक्र परिवर्तन आज की जरूरत किसान क्लब देमार के अध्यक्ष दिनेश कुमार साहू ने कहा कि धरती की उपजाऊ शक्ति, पानी की उपलब्धता और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए किसानों को स्वमेव फसल चक्र अपनाने पर विचार करना चाहिए। कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर मिट्टी परीक्षण पश्चात दलहन- तिलहन फसल के लिए शासन स्तर पर भी सब्सिडी देकर बीज उपलब्ध कराकर किसानों को फसल चक्र अपनाने की आवश्यकता एवं लाभ-हानि को समझाना होगा। लगातार धान की फसल लेने से धरती की उर्वरक क्षमता कमजोर होती जाएगी।
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