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नई दिल्ली, 02 सितंबर (हि.स.)। सागर परिक्रमा के आठवें चरण के तीसरे दिन, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने शनिवार को तमिलनाडु में बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क की आधारशिला रखी। समुद्री शैवाल पार्क का उद्देश्य तटीय युवा और महिला मछुआरों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना है। कार्यक्रम की शुरुआत परषोत्तम रूपाला, डॉ. एल. मुरुगन और अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा वलमावुर, थोंडी, रामनाथपुरम में मल्टीपर्पस सीवीड पार्क स्थल पर भूमि पूजन और शिलान्यास के साथ की गई। वलमावुर में समुद्री शैवाल पार्क स्थल पर पहुंचने से पहले परषोत्तम रूपाला ने सीएमएफआरआई के मंडपम केंद्र में समुद्री शैवाल की खेती में लगे मछुआरों के समूहों के साथ बातचीत की। उन्होंने कहा कि समुद्री शैवाल पार्क होने से तमिलनाडु के छह तटीय जिलों नागपट्टिनम, तंजावुर, तिरुवरुर, पुदुकोट्टई, रामनाथपुरम और थूथुकुडी में 136 तटीय मछली पकड़ने वाले गांवों में समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा मिलेगा। इसमें 8821 लोगों की आजीविका को बढ़ावा देने, टिशू कल्चर प्रयोगशालाओं और अनुसंधान एवं विकास सुविधाओं की स्थापना, तट-आधारित बुनियादी सुविधाओं (सुखाने वाले यार्ड, गोदाम आदि), कौशल विकास और क्षमता निर्माण, भंडारण और विपणन सुविधा, प्रसंस्करण और मूल्य को बढ़ावा देने के लिए जनशक्ति को शामिल किया जाएगा। 


समुद्री शैवाल पार्क उद्यमियों, प्रसंस्करणकर्ताओं आदि को आवश्यक योजनाओं, लाइसेंस देने के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए एकल खिड़की सहायता के साथ प्रसंस्करण केंद्र स्थापित करने के लिए जगह भी प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देने के अलावा, पार्क समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण पर भी ध्यान केंद्रित करेगा। जो जीवित रहने के लिए समुद्री शैवाल पर निर्भर हैं वैसे विभिन्न समुद्री प्रजातियों को उजागर करने वाला एक मछलीघर होगा। भारत सरकार का मत्स्य पालन विभाग जमीनी स्तर की चुनौतियों को समझकर मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र को मजबूत करने और भारत को जलीय कृषि और मत्स्य पालन निवेश का केंद्र बनाने के लिए कार्यान्वित किए जाने वाले कार्यों के साथ एक रोडमैप तैयार कर रहा है। वहीं, "सागर परिक्रमा यात्रा" का उद्देश्य बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके जरिए समुद्री मत्स्य संसाधनों के सतत उपयोग और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा पर मछुआरों, मछली किसानों और अन्य हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा किया जाएगा। 

इसके साथ मछुआरों, तटीय समुदायों और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत की सुविधा प्रदान करना है ताकि सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न मत्स्य पालन संबंधी योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी का प्रसार किया जा सके और अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रदर्शन किया जा सके। सार्वजनिक क्षेत्र की योजनाओं का अधिकतम लाभ मछुआरों को दिलाना है ताकि इनके जीवन स्तर को ऊपर उठाया जा सके। पिछले सात चरणों में पूर्वी तट को गुजरात, दमन और दीव, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के तटीय क्षेत्रों में प्रमुख स्थानों पर कवर किया गया है। सागर परिक्रमा के आठवें चरण का कार्यक्रम 31 अगस्त से 02 सितंबर, 2023 के दौरान तमिलनाडु के चार तटीय जिलों को कवर करते हुए पूर्व-निर्धारित समुद्री मार्ग के माध्यम से कन्याकुमारी से रामनाथपुरम तक आयोजित किया गया है।

 केंद्रीय बजट 2021 की घोषणा के अनुरूप, वित्त मंत्री द्वारा 'तमिलनाडु में बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क' के रूप में भारत के पहले मत्स्य पालन एक्वापार्क की घोषणा की गई है। उचित तकनीकी मूल्यांकन और उचित परिश्रम के साथ समय के साथ, परियोजना को 127.7 करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ मंजूरी दे दी गई। हब-एंड-स्पोक मॉडल के आधार पर, इसका उद्देश्य समुद्री शैवाल की खेती और संरक्षण को बढ़ावा देना है और वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए समुद्री शैवाल की विभिन्न प्रजातियों और उनके संभावित अनुप्रयोगों का अध्ययन करने के साथ-साथ समुद्री शैवाल की खेती के लिए एक अनुसंधान और विकास केंद्र के रूप में कल्पना की गई है। जागरूकता पैदा करने के लिए स्थानीय समुदायों के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र अस्तित्व में लाना भी है।
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