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सामाजिक समरसता निर्माण है श्रीराम मंदिर : देवजी रावत

अयोध्या, 19 जनवरी (हि.स.)। भगवान श्रीराम 500 वर्ष के वनवास के बाद भगवान अपने जन्मस्थान पर विराजमान हो रहे हैं। पूरे देश में उत्साह व आनंद का वातावरण है। लोग प्रसन्नता से 22 जनवरी के राह देख रहे हैं। आज ऐसा महसूस हो रहा है कि देश में सामाजिक समरसता प्रत्यक्ष निर्माण हो रही है। जैसे भगवान राम ने वनवास के दौरान वनवासी वंचित समाज को एकत्रित कर संगठित कर आसुरी शक्तियों को परास्त किया था। इसी प्रकार का महौल आज पूरे देश में एक समरसता का माहौल खड़ा हुआ है। सब देशवासी अपनी जाति बिरादरी को भूलकर हमसब राम की संतान हैं यह संदेश राम के मंदिर निर्माण से आज पूरे देशा व विश्व में प्रसारित हुआ है। यह बातें विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मंत्री व प्रवक्ता देवजी भाई रावत ने साक्षात्कार के दौरान कही। देवजी भाई रावत विहिप में सामाजिक समरसता का काम देखते हैं। प्रस्तुत है हिन्दुस्थान समाचार के वरिष्ठ संवाददाता बृजनन्दन राजू से उनकी बातचीत। प्रश्न: राम मंदिर आन्दोलन की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या मानते हैं? उत्तर: रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का जो आन्दोलन विहिप ने अपने हाथ में लिया। तब से एक बहुत बड़ा सामाजिक परिवर्तन आया। समाज में हजारों साल की रूढ़ियां थी। विषमता, सामाजिक छुआछूत आदि। राम मंदिर आन्दोलन के माध्यम से सब समाप्त हो गयीं। इस आन्दोलन के कारण गर्व से कहो हम सब हिन्दू हैं; की भावना समाज में प्रस्थापित हुई है। राम मंदिर आन्दोलन की बड़ी उपलब्धि है। राम मंदिर का जो शिलान्यास 1989 में हुआ, हजारों संतों की उपस्थिति में। विहिप ने अनुसूचित समाज के एक बंधु कामेश्वर चौपाल के हाथों करावाया। यह भी एक सामाजिक समरसता का संदेश वाहक बना। इससे हजारों सालों की विषमता समाप्त समाप्त करने में मील का पत्थर साबित हुआ। प्रश्न: सामाजिक समरसता निर्माण करने की दृष्टि से विहिप क्या काम कर रही है? उत्तर: समाज के संचालन में सभी जाति बिरादरियों की सहभागिता पर विहिप ने कई वर्षों पहले ही कार्य प्रारम्भ कर दिया था। तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश और केरल में विहिप ने एक बहुत बड़ा जन आन्दोलन चलाया। वहां पर पुजारी प्रशिक्षण वर्ग लगाया गया। जिनकी धर्म व पूजा पाठ में रूचि है ऐसे हर जाति बिरादरी के युवाओं को वर्ष 1990 में प्रशिक्षित किया गया। तमिलनाडु केरल और आन्ध्र में प्रशिक्षण शिविर लगाए गये थे। ऐसे एक हजार से ज्यादा युवाओं को पुजारी बनाया गया। कांची कामकोटि पीठ के ब्रह्मलीन जगद्गुरू शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती ने उनकी परीक्षा ली थी और प्रमाण पत्र दिया दिया था। उसके बाद तमिलनाडु की सरकार ने कई ऐसे अनुसूचित समाज के पुजारियों को सरकारी वेतन देकर नियुक्त किया। अभी हमारे प्रयास से तिरूपति बालाजी ट्रस्ट के द्वारा 10 हजार पुजारियों का प्रशिक्षण वर्ग कियाहै। यह सब मंदिरों में पूजा पाठ व कर्मकांड करते हैं। ऐसे लोगों को तैयार कर हमने बहुत बड़ा प्रयास शुरू किया है। समाज के अन्य वर्ग के लोगों को भी पूजा के लिए तैयार किया जाता है। अभी तक हमने 10 हजार लोगों को प्रशिक्षित किया है। इसके अलावा बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व वनवासी समाज की महिलाओं और युवाओं को रामायण व भागवत कथा का प्रशिक्षण देकर कथाकार बनाया जा रहा है। वृन्दावन व अयोध्या में कथाकारों का प्रशिक्षण चलता है। प्रश्न: समाज में काफी बदलाव आया है लेकिन अभी भी कहीं-कहीं भेदभाव की खबरें आती हैं? उत्तर: छुआछूत की विषमता हजारों साल की है। इसे जाने में समय लगेगा इसके लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किया जा रहा है। जो तीव्रता पहले थी आज वह कम हुआ है। आज सब एक पंगत में बैठकर भोजन करते हैं। सबका मंदिर प्रवेश होता है। अन्य स्थानों की समस्याएं दूर करने में अभी भी कार्यकर्ता जुटे हुए हैं। प्रश्न: राम को सामाजिक समरसता का प्रतीक माना जाता है? उनसे क्या प्रेरणा लेनी चाहिए? उत्तर : भगवान राम का मंदिर जो अयोध्या में 22 जनवरी से प्रारम्भ होगा वह सर्व समाज के सहयोग से निर्मित हो रहा है। देश के सभी जाति बिरादरी व हर वर्ग के लोगों ने सहयोग किया है। जैसे भगवान राम ने आसुरी शक्तियों को परास्त करने के लिए समाज के वंचित वनवासी व पिछड़े लोगों को साथ में रहकर एक सामाजिक जागरण किया और शक्ति निर्माण कर आसुरी शक्तियों को परास्त किया। इसी प्रकार वर्तमान में विहिप के प्रयास से राम मंदिर बन रहा है। प्रश्न: सामाजिक समरसता की दृष्टि से विहिप आने वाले समय में क्या काम करने वाला है? उत्तर: विहिप आने वाले समय में मुख्य रूप से तीन काम करने वाला है। पहला सभी हिन्दुओं का मंदिरों में प्रवेश हो। दूसरा किसी भी हिन्दू को पानी की कोई समस्या न हो। आने वाले समय में किसी भी अनुसूचित जाति या गरीब परिवार के व्यक्ति की मृत्यु पर शमशान भूमि प्राप्त हो। इसके अलावा एक और काम हमने प्रारम्भ किया है जो अनुसूचित समाज के बंधु आर्थिक दृष्टि से पिछड़े व अशिक्षित है इसलिए संघ परिवार व विहिप ने गत चार पांच साल से छोटे-छोटे हुनर का प्रशिक्षण देकर रोजगार उपलब्ध कराने का प्रयास हो रहा है। हम प्रत्येक जिले में रोजगार सृजन केन्द्र प्रारम्भ करेंगे।
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