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अयोध्या में अलोकित हो रही सूर्यवंश की बारहों संख्या

भगवान श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या विहंस रही है। चारों ओर खुशी का महौल है। श्रीराम का यशोगान हो रहा है। गलियां मंगलगीतों से गूंज रही हैं। वैदिक मंत्रों की ध्वनियां उच्चरित हो रहीं हैं। जनमानस प्रसन्न है। पूरी अयोध्या उल्लास, अह्लाद और आध्यात्मिक भाव में गोते लगा रही है। मानो, यह समय अयोध्या के पुनर्प्रतिष्ठापित होने का हो। श्रीरामलला की जन्मभूमि पर एक भव्य मंदिर निर्माण के बाद से ही प्रत्येक जन, इस राष्ट्रमंदिर में विराजमान अपने आराध्यदेव प्रभु श्रीराम की झलक पाने को व्यग्र था। आखिरकार वह क्षण 22 जनवरी 2024 को आया और श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई। श्रीरामलला मंदिर में विराजमान हुए। यह वह क्षण था, जब राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक भावुक था। श्रीरामलला के दर्शन को सबकी बेचैनी बढ़ रही थी, लेकिन अब परिस्थियां बदली हैं। बेचैनी, सुकून में बदल रही है। प्रतिदिन चार से पांच लाख श्रद्धालु अपने आराध्यदेव के दर्शन का लाभ ले रहे हैं। उनका आशीष पाकर खुद को धन्य कर रहे हैं। लग रहा है कि भावुकता का वह क्षण, अब श्रीअयोध्या के वैभवशाली गौरव को प्राप्त होने तक थमेगी नहीं। आलम यह है कि यहाँ हर दिन पहुँचने वाली रामभक्तों की भीड़, वैदिक मंत्रों की ध्वनियों के बीच अपनी आध्यात्मिक चेतना को जागृत कर रही है। साहित्य भूषण से सम्मानित साहित्यकार प्रमोदकांत मिश्र कहते हैं कि बारह कलाओं से सुसम्पन्न भगवान श्रीराम की ज्योति अब सूर्यवंश की तरह प्रत्येक मन को आलोकित कर रही है। मानो, आदित्य वंश की बारह संख्यायें अंशुमान, आर्यमन, इंद्रा, त्वष्टा, धातु, पर्जन्य, पूषा, भग, मित्र, वरुण, विवस्वान और विष्णु; रोम-रोम में बसने वाले श्रीराम के रूप में प्रत्येक मन में जाग्रत हो रहे हैं। इनका कहना है कि चाहे अयोध्या का भक्तिपथ हो अथवा श्रीराम जन्मभूमि पथ; रामपथ हो अथवा धर्मपथ, सब पर भक्तों, श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ रहा है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर जाने वाले पथ पर श्रीरामलला के दर्शन को भक्ति का सागर उमड़ रहा है। अयोध्या के सभी पहैं। और गलियों में जय श्रीराम का उद्घोष इसे पुष्टता प्रदान करने वाला है। गाँव-गिराव के साथ देश-दुनिया के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या यह बता रही है कि श्रीराम किसी एक के नहीं हैं। पूरी दुनिया उनका अनुसरण कर रही है। अनुशासित भाव से श्रीरामलला का दर्शन, शांति भाव बनाये रखना और इतनी बड़ी संख्या के अयोध्या पहुँचने के बाद भी किसी अनहोनी का न होना सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता होने का संकेत तो हैं ही, देश-दुनिया के राममय होने के संकेत भी हैं।
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