चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केन्द्र, अम्बाला शहर द्वारा आयोजित केन्द्र के परिसर में खुम्ब उत्पादन तकनीक पर व्यावसायिक प्रशिक्षण करवाया जिसमें लगभग 140 किसान युवाओं व युवतियों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। केन्द्र प्रभारी श्रीमती सुनीता आहुजा ने बताया कि पिछले 4-5 सालों में किसानों का रुझान खुम्ब की खेती की तरफ बढ़ा है। खुम्ब स्वास्थ्य, व्यवसाय, पर्यावरण व आर्थिक दृष्टिकोण से बहुत ही बढिय़ा है। इसलिए खुम्ब उगाएं, खायें, आमदनी बढ़ाएं और पर्यावरण बचाएं। श्रीमती आहुजा ने बताया कि वैज्ञानिक तरीके से उगाई जाने वाली सभी खुम्ब खाने योग्य, पौष्टिक व स्वादिष्ट होती हैं। खुम्ब में प्रोटीन, खनिज लवण, विटामिन व आवश्यक एमिनो एसिड प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। विटामिन-बी, सी व बी-12 भी पाया जाता है जो साधारणतया सब्जियों में कम पाए जाते हैं। वसा व कार्बोहायड्रेट की मात्रा कम होने के कारण हृदय रोग व मधुमेय, खून की कमी, बच्चों में सूखा रोग व चर्मरोग जैसी बीमारियों से बचाव के लिए खुम्ब एक अच्छा स्त्रोत है। डॉ0 आर. एस. चौहान, कृषि वैज्ञानिक, के.वि.के. पंचकूला एवं डॉ0 फतेह सिंह, कृषि वैज्ञानिक, के.वि.के. कुरुक्षेत्र ने प्रशिक्षणर्थियों को बताया कि खेती छप्पर व कमरों के अंदर कृत्रिम व वैज्ञानिक ढंग से सफलतापूर्वक की जा सकती है। खुम्ब को खेतों के लिए कम्पोस्ट, स्पान, केसिंग मिश्रण, तुड़ाव व पेकिंग सभी की पूर्ण रूप से जानकारी दी गयी। प्रैक्टिकल काम देखने के लिए प्रशिक्षणर्थियों को मशरूम उत्पादक मेहर चंद, गांव-सुल्लर के यूनिट का भ्रमण करवाया गया। डॉ0 अशोक ढिल्लों, के.वि.के. अम्बाला शहर ने ग्रेडिंग, पैकिंग, लेखा-जोखा एवं बिक्री के सम्बन्ध में जानकारी दी। पशुरोग प्रयोगशाला की अधिकारी डॉ0 वंदना भनोट, नाबार्ड के अधिकारी दीपक जाखड़ एवं बागवानी अधिकारी श्री रजत ने अपने-अपने विभाग की जानकारी दी।