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भारत ने शुरू किया 800 किमी. रेंज वाली ब्रह्मोस के एयर लॉन्च वर्जन का परीक्षण

नई दिल्ली, 13 मार्च (हि.स.)। भारत ने ब्रह्मोस सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल के एयर लॉन्च संस्करण का परीक्षण शुरू कर दिया है, जो 800 किमी की रेंज में टारगेट को हिट करने में सक्षम होगा। भारतीय वायु सेना यह परीक्षण मल्टीरोल फाइटर जेट सुखोई-30 एमकेआई से करेगी। रक्षा मंत्रालय नौसेना के फ्रंटलाइनर युद्धपोतों के लिए 200 से अधिक विस्तारित रेंज वाली मिसाइलों के अधिग्रहण को अंतिम रूप दे रहा है। भारत ने अब 800 किलोमीटर की रेंज में टारगेट को हिट करने वाला ब्रह्मोस मिसाइल का नया वर्जन तैयार किया है। मिसाइल के सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करने के बाद भारत के फाइटर जेट हवा में रहते हुए दुश्मन के ठिकानों को 800 किमी. दूर से ही ध्वस्त कर सकते हैं। दुनिया की सबसे ताकतवर मिसाइल ब्रह्मोस के अपग्रेडेड वर्जन को एयर लॉन्च क्रूज मिसाइल (एएलसीएम) का नाम दिया गया है। इसी नए वेरिएंट का परीक्षण करने के लिए वायुसेना ने पिछले साल 09 मार्च को एक एयरबेस से बिना किसी वारहेड के मिसाइल दागी थी। यह मिसाइल राजस्थान के पोकरण फायरिंग रेंज में जाने के दौरान तकनीकी गलती से मार्ग भटककर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के भीतर लगभग 160 किमी. दूर जाकर गिरी। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने संयुक्त रूप से ब्रह्मोस मिसाइल का विकास किया है। 21वीं सदी की सबसे खतरनाक मिसाइलों में से एक ब्रह्मोस 8.4 मीटर लम्बी तथा 0.6 मीटर चौड़ी है। यह सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल आवाज की गति से लगभग तीन गुना तेज जाने की क्षमता रखती है। अग्नि के सिद्धांत पर काम करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल में डीआरडीओ ने पीजे-10 परियोजना के तहत स्वदेशी बूस्टर बनाकर इसकी मारक क्षमता 400 किमी. से अधिक दूरी तक बढ़ा दी है। इसके बाद भी भारत लगातार सॉफ्टवेयर अपग्रेड करके ब्रह्मोस मिसाइलों की रेंज बढ़ा रहा है। वायु सेना के पास फिलहाल सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस 40 सुखोई-30 एमकेआई विमान हैं, जिन्हें पाकिस्तान के साथ देश की पश्चिमी सीमा और चीन के साथ पूर्वी सीमा पर तैनात किया गया है। वायु सेना अपने 30 और लड़ाकू सुखोई विमानों को 500 किलोमीटर से अधिक रेंज की ब्रह्मोस मिसाइल से लैस करेगी। वायु सेना की भविष्य में ब्रह्मोस मिसाइलों को मिकोयान मिग-29के, हल्के लड़ाकू विमान तेजस और राफेल में भी तैनात करने की योजना है। यह हवा में ही मार्ग बदलने में सक्षम है और चलते-फिरते टारगेट को भी ध्वस्त कर सकती है। 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल को दुश्मन के राडार को धोखा देना बखूबी आता है। यह सिर्फ राडार ही नहीं, बल्कि किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को भी धोखा दे सकती है, इसलिए इसे मार गिराना लगभग असंभव है। इधर, रक्षा मंत्रालय नौसेना के फ्रंटलाइनर युद्धपोतों के लिए 200 से अधिक विस्तारित रेंज वाली मिसाइलों के अधिग्रहण को अंतिम रूप दे रहा है। राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) से मिसाइलों और संबंधित उपकरणों की खरीद के प्रस्ताव पर जल्द ही विचार किया जाएगा। इसके बाद इसे प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली सुरक्षा संबंधी कैबिनेट कमेटी को अंतिम मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। सौदे की वास्तविक लागत मिसाइलों की संख्या और कॉन्फ़िगरेशन पर निर्भर करेगी, लेकिन यह सौदा 15 हजार करोड़ रुपये से ऊपर होने की संभावना है। फिलहाल तीनों सेनाएं ब्रह्मोस से लैस हैं और अब तक 38 हजार करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। नौसेना के दस फ्रंटलाइन युद्धपोत पहले से ही ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस हैं। नौसेना ने 5 मार्च को अरब सागर में एक युद्धपोत से स्वदेशी बूस्टर के साथ ब्रह्मोस का परीक्षण किया था। डीएसी ने समुद्री हमले की क्षमता बढ़ाने के लिए 10 जनवरी को शिवालिक-श्रेणी के फ्रिगेट और अगली पीढ़ी के मिसाइल जहाजों के लिए ब्रह्मोस लांचर और अग्नि नियंत्रण प्रणाली की खरीद को मंजूरी दी थी, ताकि नौसेना दुश्मन के युद्धपोतों और व्यापारिक जहाजों को रोकने और नष्ट करने में सक्षम हो सके।
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