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ममता को पकड़ना चाहिए प्रधानमंत्री के पैर : दिलीप घोष

कोलकाता, 16 नवंबर (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने बुधवार को एक बार फिर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोला है। दिलीप घोष ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने देश की बेहतरी और विकास के लिए जो शानदार काम किए हैं उसे देखते हुए ममता बनर्जी को उनके पैर जरूर पकड़ना चाहिए। न्यू टाउन इको पार्क में मॉर्निंग वॉक करने पहुंचे घोष ने कहा कि बनर्जी ने राज्य के आदिवासी समुदाय के लिए कुछ भी नहीं किया है। इसीलिए उत्तर बंगाल से लेकर दक्षिण बंगाल तक के आदिवासी बहुल क्षेत्रों के भारतीय जनता पार्टी को बड़े पैमाने पर वोट मिले हैं। ममता को जब इस बात का एहसास होता है कि उनकी पार्टी के लोग आदिवासियों के हक के हिस्से खा गए हैं। तब बीच-बीच में आदिवासियों के पास जाती हैं और उनके साथ नाचती गाती हैं। हकीकत यह है कि बंगाल का आदिवासी समुदाय सबसे अधिक वंचित, शोषित और पीड़ित है। उल्लेखनीय है कि मंगलवार को झारग्राम के बेलपहाड़ी में आदिवासियों की जनसभा को संबोधित करते हुए ममता ने सौ दिनों की रोजगार गारंटी योजना के लिए फंड नहीं रिलीज करने को लेकर कहा था कि क्या मुझे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पैर पकड़ने होंगे? दिलीप घोष ने भाजपा विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी के पिता शिशिर अधिकारी के खिलाफ तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी की आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर भी उन्होंने सवाल खड़ा किया। घोष ने कहा कि शिशिर अधिकारी राज्य के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं और बेहद सम्मानित शख्सियत हैं। उनका अपराध सिर्फ इतना है कि वे शुभेंदु अधिकारी के पिता हैं। तृणमूल की राजनीतिक संस्कृति के बारे में अंदाजा लगाइए कि आज भी शिशिर अधिकारी तृणमूल कांग्रेस में ही हैं। उस पूरे क्षेत्र में जब कांग्रेस और माकपा का दौर था तब भी वहां तृणमूल कांग्रेस की नींव रखने से लेकर उसे मजबूत करने के लिए शिशिर अधिकारी ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था। लेकिन उनके खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने से तृणमूल के नेता एक बार भी नहीं सोच रहे हैं। शिशिर अधिकारी ने भाजपा ज्वाइन नहीं किया है फिर भी उन्हें धोखेबाज कहा जा रहा है। अगर ऐसा है तो ममता बनर्जी ने भी कांग्रेस छोड़कर तृणमूल की स्थापना की थी। तब तो उनके खिलाफ भी आपत्तिजनक टिप्पणी तृणमूल नेताओं को करनी चाहिए।
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