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चैत्र नवरात्र : कुष्मांडा के दरबार में श्रद्धालुओं ने लगाई हाजिरी

वाराणसी, 25 मार्च, वासंतिक चैत्र नवरात्र में काशीपुराधिपति की नगरी आदिशक्ति की आराधना में लीन है। नवरात्र के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने नवदुर्गा के पूजन के क्रम में दुर्गाकुंड स्थित कूष्मांडा दरबार और ज्ञानवापी परिक्षेत्र स्थित मां जगदम्बा के गौरी स्वरूप स्वयंभू विग्रह श्रृंगार गौरी का दर्शन पूजन किया। दोनों मदिरों में दर्शन पूजन के लिए लोग भोर से ही पहुंचने लगे । यह क्रम पूरे दिन जारी रहा। दोनों मंदिरों में कतारबद्ध श्रद्धालुओं ने दर्शन पूजन किया। इस दौरान भक्त सच्चे दरबार की जय, मां शेरा वाली का जयकारे भी लगाते रहे। चौथे दिन वर्ष भर में एक दिन के लिए खुलने वाले श्रृंगार गौरी के दरबार में दर्शन पूजन के लिए पहुंचने लगे। श्रद्धालुओं ने श्री समृद्धि व सौभाग्य की प्रदात्री श्रृंगार गौरी का दर्शन पूजन किया। बताते चले ज्ञानवापी परिक्षेत्र के अति संवेदनशील क्षेत्र में स्थित माँ श्रृंगार गौरी का मंदिर वर्ष में एक दिन चैत्र नवरात्र के चौथे दिन ही खुलता है। ज्ञानवापी परिसर में मस्जिद के पीछे माता रानी का विग्रह हैं। काशी में मान्यता है कि माता रानी के स्वयंभू विग्रह के दर्शन से महिलाओं का श्रृंगार वर्ष भर बना रहता है। नवरात्र के चौथे दिन दुर्गाकुंड स्थित कुष्माण्डा स्वरूप का दर्शन पूजन होता है। जगदम्बा के इस रूप के दर्शन.पूजन से सारी बाधा, विध्न और दुखों से छुटकारा मिलता है। साथ ही भवसागर की दुर्गति को भी नहीं भोगना पड़ता है। माँ की आठ भुजाएं हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा है। मां विश्व की पालनकर्ता के रूप में भी जानी जाती हैं। माता रानी के इस स्वरूप के बादे में मान्यता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था । चहुंओर अंधकार व्याप्त था उसी समय माता ने अपने ईषत हस्त से सृष्टि की रचना की थी। देश के प्राचीनतम देवी मंदिरों में से एक इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि दुर्गम दानव शुम्भ-निशुंभ का वध करने के बाद थकी आदि शक्ति ने यहां विश्राम किया था। इस मंदिर का जिक्र काशी खंड में भी है। नागर शैली में निर्मित गाढ़े लाल रंग के इस आध्यात्मिक शक्तिपीठ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और देश की अन्य विशिष्ट जन भी पूरे श्रद्धाभाव से मत्था टेक चुके है।
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