जगदलपुर, 25 दिसंबर (हि.स.)। देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती सुशासन दिवस पर आज बुधवार को जगदलपुर के टाऊन हॉल में आयोजित कार्यक्रम में"सहकार से समृद्धि" के पहल से छत्तीसगढ़ में 300 से अधिक नवगठित बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी व मत्स्य सहकारी समितियों का शुभारम्भ सहकारिता मंत्री केदार कश्यप के द्वारा किया गया।
इस अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में भारत के गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के द्वारा देशभर में नवगठित 10 हजार से अधिक बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी एवं मत्स्य समितियों के शुभारंभ एवं सम्बोधन को वर्चुअल रूप से देखा गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि सहकारिता मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि "सहकार से समृद्धि" की परिकल्पना को साकार करते हुए भारत सरकार सहकारिता मंत्रालय द्वारा 54 पहल प्रारंभ किये गये हैं। इसमें से एक महत्वपूर्ण पहल से भारत के प्रत्येक ग्राम पंचायत को एक बहुउद्देशीय पैक्स, मत्स्य तथा डेयरी समिति से अच्छादित करना है। अभी प्रदेश में कार्यरत 2058 पैक्स तथा लैम्प्स द्वारा प्रदेश के कृषकों को कृषि ऋण तथा खाद-बीज एवं विभिन्न तरह की सेवाएं प्रदान की जा रही है। इन्हें और अधिक सक्षम बनाने तथा नागरिकों को अधिकाधिक सेवाएं इन समितियों में सुगमता से उपलब्ध कराने के लिए इन्हें बहुउद्देशीय बनाते हुए कई तरह के कार्य दिये गये हैं। भारत सरकार की कार्ययोजना अंतर्गत राज्य में 500 नये बहुउद्देशीय पैक्स के गठन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
सहकारिता मंत्री कश्यप ने कहा कि राज्य में दुग्ध उत्पादक कृषकों की आय में वृद्धि के लिए एनडीडीबी के साथ राज्य दुग्ध संघ तथा राज्य सरकार के साथ त्रिपक्षीय एमओयू किया गया है। नवीन दुग्ध समितियों का पंजीयन कर दुग्ध कृषकों के लिए नवीन योजना भी तैयार की जा रही है, इससे दुग्ध और दुग्ध उत्पादों का प्रचार, उत्पादन, खरीदी, प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा मिलेगा। इसका उद्देश्य छत्तीसगढ़ में ग्रामीण कृषक समुदाय का आर्थिक विकास सुनिश्चित करना है। इस कड़ी में राज्य में 57 से अधिक नवीन दुग्ध समितियों का पंजीयन कर लिया गया है। इसी तरह प्रदेश में वनों तथा वनवासियों की बाहुल्यता को ध्यान में रखते हुए इस कार्ययोजना में लघु वनोपज समितियों को भी शामिल किया गया है। जिसके तहत राज्य के 113 वन-धन समितियों को भी प्राथमिक बहुउद्देशीय लघु वनोपज सहकारी समिति के रूप में पंजीकृत किया गया है। जहां वनवासियों को सभी प्रकार की सेवाएं मिल सकेगी। छत्तीसगढ़ में मछली पालन को लेकर आर्थिक विकास की अपार संभावना है। मत्स्यपालन मछुआरों एवं कृषकों के लिए आजीविका का मुख्य साधन है। मत्स्य समितियों के गठन से हमारे समाज में कमजोर समूहों को आजीविका सुरक्षा, पोषण सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जा सकती है। सरकार के इस प्रयास से न केवल मछली उत्पादन बल्कि मत्स्यपालन क्षेत्र में अधोसंरचना के विकास को बढ़ावा मिलेगा। राज्य में इसी कड़ी में 169 नवीन मत्स्य समितियों का गठन किया गया है।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा वर्ष 2023-24 में राज्य के 24 लाख 72 हजार किसानों से रिकार्ड 145 लाख मेट्रिक टन की धान खरीदी की गई। साथ ही कृषक उन्नति योजनांतर्गत किसानों को 13हजार 260 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया । खरीफ वर्ष 2024 में अल्पकालीन कृषि ऋण योजनान्तर्गत 15 लाख 21 हजार किसानों को 6 हजार 912 करोड़ का ब्याज मुक्त ऋण वितरण किया गया। छत्तीसगढ़ में किसान हितैषी सरकार के द्वारा कृषक हित को ध्यान में रखते हुए दिसम्बर 2023 से दिसम्बर 2024 के मध्य सहकारी बैंकों की 16 नवीन शाखाएं स्थापित किए गए हैं। किसानों को पैक्स समितियों में 2058 माईक्रो एटीएम उपलब्ध कराया गया है। प्रदेश के 10 लाख 45 हजार किसानों को रूपे केसीसी कार्ड वितरित किया जा चुका है। धान खरीदी केन्द्रों में किसानों को माइक्रो एटीएम से 10 हजार रुपये तक की राशि की आहरण की सुविधा भी प्रदान की गई है। इस माइक्रो एटीएम के जरिए विगत 01 नवम्बर 2024 से अब तक 19104 किसानों को 25 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। प्रदेश के 2014 पैक्स समितियों को कॉमन सर्विस सेन्टर की सुविधा हेतु सक्षम बनाया गया है। जिससे नागरिक सेवाएं दूरस्थ ग्रामीण अंचल तक पहुंच रही है तथा पैक्स को आय का एक अतिरिक्त साधन प्राप्त हुआ है। प्रदेश के दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में ग्रामीण जनों को सस्ती दवाईयां उपलब्ध कराने हेतु राज्य के 25 पैक्स समितियों में प्रधानमंत्री जनऔषधि केन्द्र प्रारंभ किया गया है।
इस अवसर पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष मनीराम कश्यप, पूर्व सांसद दिनेश कश्यप,पूर्व विधायक द्वय बैदूराम कश्यप एवं लछूराम कश्यप सहित अन्य जनप्रतिनिधी और कलेक्टर एवं प्राधिकृत अधिकारी जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक हरिस एस. तथा सहकारिता विभाग एवं राज्य सहकारी बैंक के अधिकारी, बड़ी संख्या में सहकारी समितियों के पदाधिकारियों के अलावा सहकारी समितियों से जुड़े कृषक एवं नागरिकगण मौजूद रहे।