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मुख्यमंत्री चौहान ने महान समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की जयंती पर किया नमन

भोपाल, 3 जनवरी (हि.स.)। छुआछूत मिटाने, विधवा विवाह कराने और महिलाओं को शिक्षित करने का अभियान चलाने वाली महान समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की आज मंगलवार को जयंती है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत भाजपा नेताओं ने सावित्रीबाई फुले की जयंती पर उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री चौहान ने ट्वीट कर अपने संदेश में लिखा ‘स्वाभिमान से जीने के लिए शिक्षा को सर्वोत्तम अस्त्र मानने वाली माता सावित्रीबाई फुले जी की जयंती पर सादर नमन् करता हूं। बालिकाओं की शिक्षा व पिछड़ों के सम्मान हेतु आजीवन संघर्ष करने वाली पूज्य माता के पुण्य विचार सदैव राष्ट्र व समाज के नवनिर्माण के लिए प्रेरित करते रहेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट कर लिखा ‘सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जनजागरण करने वाली महान समाज सुधारक व शिक्षाविद श्रद्धेय सावित्रीबाई फुले जी को उनकी जयंती पर सादर नमन। आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश में महिला सशक्तीकरण के लिए किए जा रहे प्रयास उस लक्ष्य की पूर्ति में योगदान कर रहे हैं, जिसे श्रद्धेय सावित्रीबाई फुले जी ने अपने जीवन का आदर्श बनाया था। गौरतलब है कि सावित्री बाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्राचार्य और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थी। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जिया, जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह कराना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। उन्होंने 19वीं शताब्दी में पुणे (महाराष्ट्र) के समाज में व्याप्त दमनकारी सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई थी। उनका योगदान तर्कसंगतता और मानवीय कारणों जैसे सत्य, समानता और मानवता के इर्द-गिर्द घूमता है। श्रीमती फुले ने जो संदेश अपने समय में समस्त भारतीय समाज विशेषकर स्त्री को केंद्र को केंद्र में रखकर दिया, वह आज भ्ज्ञी उतना ही प्रारंगिक है, जितना कि अपने समय में रहा, उन्होंने कहा है कि एक सशक्त शिक्षित स्त्री सभ्य समाज का निर्माण कर सकती है,इसलिए तुम्हारा भी शिक्षा का अधिकार होना चाहिए। कब तक तुम गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी रहोगी। उठो और अपने,अधिकारों के लिए संघर्ष करो। दलित औरतें शिक्षा की तब और अधिकारी हो जाती है, जब कोई उनके ऊपर जुल्म करता है। इस दास्तां से निवारण का एकमात्र मार्ग है शिक्षा। यह शिक्षा ही उचित अनुचित का भेद कराता है। देश में स्त्री साक्षरता की भारी कमी है, क्योंकि यहां की स्त्रियों को, कभी बंधन मुक्त होने ही नहीं दिया गया। समाज तथा देश की प्रगति तब तक नहीं हो सकती,जब तक कि वहां कि महिलाएं शिक्षित ना हो। कोई तुम्हें कमजोर समझे इससे पहले,तुम्हें शिक्षा के महत्व को समझना होगा। स्त्रियां केवल घर और खेत पर काम करने के लिए नहीं बनी है, वह पुरुषों से बेहतर तथा बराबरी का कार्य कर सकती है। उन्होंने कहा, हमारे शिक्षाविदों ने स्त्री शिक्षा को लेकर अधिक विश्वास नहीं दिखाया, जबकि हमारा इतिहास बताता है, पूर्व समय में महिलाएं भी विदुषी थी। बेटी के विवाह से पूर्व उसे शिक्षित बनाओ ताकि, वह अच्छे बुरे में फर्क कर सके। पितृसत्तात्मक समाज यह कभी नहीं चाहेगा कि स्त्रियां उनकी बराबरी करें, हमें खुद को साबित करना होगा अन्याय, दासता से ऊपर उठना होगा। शिक्षा स्वर्ग का मार्ग खोलता है, स्वयं को जानने का मौका देता है। हमारे जानी दुश्मन का नाम अज्ञान है, उसे धर दबोचो मजबूत पकड़कर पीटो और उसे जीवन से भगा दो।
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