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हाईटेंशन बिजली तार के नीचे और करंट के झटके लगने के मामले में कोर्ट की सख्ती, केंद्र सरकार की विस्त

बि‍लासपुर, 17 जनवरी (हि.स.)। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में हाइटेंशन बिजली तार के नीचे और आसपास करंट से ग्रामीणों के प्रभावित होने की खबर को संज्ञान लेकर याचिका पर सुनवाई जारी है। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की बेंच में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने की जानकारी दी गई। दरअसल हाइकोर्ट की पूर्व सुनवाई में अधिवक्ता अतनु घोष ने जानकारी दी थी कि विद्युत प्राधिकरण, विद्युत मंत्रालय की एक समिति गठित की गई है, जिसमें कृषि क्षेत्र में अपनी ट्रांसमिशन लाइन स्थापित करने वाली कंपनियों को ट्रांसमिशन लीकेज का समाधान निकालने के लिए बुलाया गया है। इस समिति की रिपोर्ट को 17 जनवरी तक न्यायालय के समक्ष रखी जानी थी। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा ने इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट पूर्ण होने की जानकारी दी। वहीं कोर्ट से समय मांगा। जिसपर कोर्ट ने एक सप्ताह का समय देकर अगली सुनवाई तय की है।


हाईटेंशन विद्युत लाइन होने के चलते ग्रामीणों और मवेशियों की जान को खतरा है। भयभीत ग्रामीणों ने हजारों एकड़ में इसके चलते खेती बंद कर दी है। इस प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने जनहित याचिका के तौर पर इसकी सुनवाई शुरू की है। जिसमें बिलासपुर जिले के रतनपुर क्षेत्र के लगभग आठ गांवों के खेतों में हाईटेंशन तार के नीचे और टॉवरों के आसपास करंट के झटके महसूस किए जा रहे हैं। बचने के लिए लोग रबड़ के बूट, जूते पहन रहे हैं, इसके बावजूद हर रोज ग्रामीणों को करंट लग रहा है। मवेशियों और बच्चों को इससे ज्यादा खतरा है। इस समस्या से कछार, लोफंदी, भरारी, अमतरा, मोहतराई, लछनपुर, नवगंवा, मदनपुर अधिक प्रभावित हैं। इन गांवों में 20 से अधिक टावर होने की वजह से जमीन में करंट दौड़ रहा है। यहां के किसानों को हाईटेंशन लाइन के कारण बार करंट लगने से प्रभावित हो रहे हैं। इस पूरे मामले में हाई कोर्ट में लगातार सुनवाई चल रही थी और इसकी विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई। वही अभी पूरे मामले में एक हफ्ते बाद अगली सुनवाई होगी।

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