बस्तर संभाग के ग्रामीण इलाकों में धर्मांतरण का मामला अब इसाई धर्मांतरित परिवारों के बहिष्कार तक पहुंच गया है। बीजापुर जिले के तोयनार थाना क्षेत्र अंतर्गत मोरमेड पंचायत के आश्रित ग्राम चिंतनपल्ली के इसाई धर्म मानने वाले 48 परिवारों को गांव छोड़ने का फरमान के बाद अब बस्तर जिले के दरभा थाना क्षेत्र अंतर्गत तीरथगढ़ के गांव में एक बैठक आयोजित कर धर्मांतरित परिवारों का बहिष्कार करने एवं उन्हें गांव के दुकान से न तो सामान देना और नहीं लेने का निर्णय लिया गया है। यदि कोई भी व्यक्ति धर्मांतरित परिवार से किसी भी तरह का संबंध रखता है, तो उस पर पांच हजार रुपये का अर्थदंड लगाने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय का एक पत्र शनिवार को दरभा तहसीलदार को भी सौंपा गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार तीरथगढ़ गांव में हुई बैठक में करीब 10 बिंदुओं पर निर्णय लिया गया है। तहसीलदार को जो आवेदन सौंपा गया है उसमें लिखा हुआ है कि यदि धर्मांतरित परिवार जनवरी 2024 तक अपने मूल धर्म में नहीं लौटते हैं तो कृषि भूमि को समिति के माध्यम से देवी-देवताओं को मानने वालों को सौंपा जाएगा। साथ ही गांव के धार्मिक स्थलों से इसाई समुदाय के लोगों को हटाया जाएगा। गांव के किसी भी धार्मिक काम में इसाई परिवार के सदस्यों से चंदा नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा धर्मांतरित परिवार के किसी भी सदस्य की यदि मौत होती है। तो शव को दफनाने के लिए गांव में न तो जमीन दी जाएगी और न ही श्मशान घाट दिया जाएगा। यदि परिवार के सदस्य अपने मूल धर्म में लौटते हैं तो ही अनुमति दी जाएगी।
केशलूर एसडीओपी ऐश्वर्य चंद्राकर का कहना है कि बैठक की जानकारी पुलिस को है, पुलिस इस दिशा में कम कर रही है। उन्होंने बताया कि अभी बैठक में शामिल लोगों के साथ जिला प्रशासन और पुलिस विभाग के अधिकारियों की भी एक बैठक आयोजित की जानी है। इस बैठक में ग्रामीणों को संवैधानिक अधिकारों की जानकारी दी जाएगी। उन्हें बताया जाएगा कि इस तरह के निर्णय संवैधानिक नहीं हैं। कोई भी व्यक्ति संस्था, समुदाय किसी भी दूसरे व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं कर सकता है। इसके बाद भी यदि कोई नहीं मानेगा तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।