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काशी में महाभैरवाष्टमी पर बाबा कालभैरव के दरबार में उमड़े श्रद्धालु

वाराणसी, 16 नवम्बर (हि.स.)। महाभैरवाष्टमी पर बुधवार को काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव के दरबार में मत्था टेकने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। बाबा कालभैरव के साथ असितांग भैरव, चंड भैरव, रुरु भैरव, क्रोधन भैरव, उन्मत्त भैरव, कपाल भैरव, भीषण भैरव, संहार भैरव, बटुक भैरव के मंदिर में भी युवाओं की भीड़ दर्शन पूजन के लिए जुटी रही। कालभैरव मंदिर में बाबा के जन्मोत्सव पर पूरे मंदिर को रुद्राक्ष, फूल, झालर से सजाया गया। भोर में बाबा के विग्रह को पंचामृत स्नान के बाद दूध से अभिषेक किया गया। सिंदूर लेपन, नए वस्त्र धारण कराने के बाद उनके प्रिय सुरा का भी भोग लगाया गया। आरती के बाद मंदिर का पट आम लोगों के लिए खोल दिया गया। दरबार में बाबा के दिव्य झांकी का दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ भोर से जुटी रही। रात में 12 बजे सवा लाख बत्तियों से बाबा की महाआरती होगी। बटुक भैरव मंदिर में महंत राकेश पुरी, भास्कर पुरी की देखरेख में भोग लगाने के बाद मंगला आरती हुई। भैरवाष्टमी पर ही लाट भैरव काशी यात्रा मंडल की ओर से अष्ट भैरव प्रदक्षिणा यात्रा निकाली गई। डमरुओं के वादन, शंखध्वनि के बीच जय भैरव, बम भैरव, हर-हर महादेव के गगनभेदी उद्गोष के साथ श्रद्धालुओं ने असितांग भैरव, चंड भैरव, रुरु भैरव, क्रोधन भैरव, उन्मत्त भैरव, कपाल भैरव, भीषण भैरव, संहार भैरव आदि मंदिरों में दर्शन-पूजन किया। कज्जाकपुरा स्थित लाट भैरव मंदिर से यात्रा प्रारम्भ की गई। उल्लेखनीय है कि मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भैरव अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शंकर का कालभैरव स्वरूप में जन्म हुआ था। आज के दिन काशी के कालभैरव मंदिर सहित अन्य भैरव मंदिरों में उनका जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। काल भैरव की पूजा करने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन कालभैरव की पूजा करने से तंत्र, मंत्र, भूत, भूत विघ्नों का नाश होता है। भगवान शिव के उग्र रूप कालभैरव की पूजा करने से भय और निराशा का अंत होता है और किसी भी प्रयास में बाधाएं दूर होती हैं।
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