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पौधों के रोगों के लिए करें घरेलू उपाय

लखनऊ, 05 दिसम्बर (हि.स.)। यदि पूर्ण रूप से प्राकृतिक खेती भी न अपनाएं और छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखें तो किसान खेती की लागत को कम कर सकते हैं। विशेषकर ये नुख्श पौधों के रोगग्रस्त होने पर अपनाने की जरूरत है। वैज्ञानिकों की राय में इन घरेलू उपायों से खेती की लागत कम करने के साथ ही अच्छी पैदावार ली जा सकती है। पौधों के रोगी होने या लक्षण दिखते ही यदि इन उपायों को किया जाय तो उससे पौधे बलवान भी होंगे और रोग भी उनके पास नहीं आएंगे। इस संबंध में उप्र के उद्यान विभाग निदेशक डा. आरके तोमर ने उदाहरण देते हुए बताया कि यदि आपकी सब्जियों पर फफूंद जनित रोग लगे हैं तो उसमें खट्टे छांछ का प्रयोग करें। रोग दूर हो जाएगा। इसके लिए 100 लीटर पानी में पांच लीटर छांछ मिलाया जाता है। यह ख्याल किया जाता है कि वह छांछ कम से कम तीन दिन पुराना हो, जिससे वह खट्टा जाय। इसके बाद सब्जियों पर उसका छिड़काव कर दिया जाता है। छिड़काव से पूर्व यदि तांबें के बर्तन में छांछ को रख दिया जाय तो वह ज्यादा प्रभावकारी हो जाता है। कृषि वैज्ञानिक राजेश राय ने बताया कि रस चूसने वाले कीड़ों के लिए पांच किग्रा नीम की पत्ती, पांच लीटर देशी गाय का गोमूत्र और एक किग्रा देशी गाय का गोबर मिलाकर उसे 48 घंटे छाया में रख दें। सुबह-शाम उसे लकड़ी के डंडे से घड़ी की सुई की दिशा में घुमाएं। कपड़े से छानकर 100 लीटर पानी में मिलाकर उसका छिड़काव करें। इससे रस चूसने वाले कीड़ों से मुक्ति मिलने के साथ ही पौधे पौष्ट भी होंगे।
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