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कपिलवस्तु महोत्सव में सामने आएगी कालानमक धान पर पहली पुस्तक

गोरखपुर, 23 जनवरी (हि.स.)। भगवान बुद्ध के महाप्रसाद काला नमक धान पर पहली पुस्तक लिखी जा चुकी है। डा. रामचेत चौधरी द्वारा लिखित यह पुस्तक सिद्धार्थनगर जिले में होने वाले कपिलवस्तु महोत्सव में सामने आएगी। यह पुस्तक महात्मा बुद्ध के महाप्रसाद कालानमक के विलुप्त होने और उसके संरक्षण संवर्धन की कहानी बयां करेगी। कालानमक धान पर पहली अधिकारिक रूप से लिखी यह 200 पन्नों की पुस्तक ‘स्टोरी आफ कालानमक राइस-पास्ट, प्रजेंट एवं फ्यूचर’ महोत्सव के दौरान लोकार्पित होगी। 28 जनवरी से पहली फरवरी तक सिद्धार्थनगर में आयोजित होने वाले कपिलवस्तु महोत्सव-2023 में कालानमक धान पर प्रकाशित पहली पुस्तक का विमोचन होगा। नए दौर में इस धान का संरक्षण एवं संवर्धन कर संजीवनी देने वाले डॉ रामचेत चौधरी ने लिखा है। इस पुस्तक में नौ अध्याय हैं। इसमें महात्मा बुद्ध के महाप्रसाद कालानमक धान की 3000 साल पुरानी गाथा से लगायत वर्तमान समय तक के सफर को रेखाकिंत किया गया है। यह बताएगी पुस्तक यह पुस्तक भगवान महात्मा बुद्ध के महाप्रसाद कालानमक धान को सिद्धार्थनगर के किसानों द्वारा कालजयी बनाने की गाथा बताएगी। अंग्रेजों द्वारा इसके व्यापारिकरण और इंग्लैंड तक साल-दर-साल पहुंचाने की कोशिशों को भी बताएगी। इसमें आजादी के बाद कालानमक धान की बर्बादी की कहानी भी अंकित है। किन वजहों या लापरवाहियों से इस धान की यह प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई, इसका भी जिक्र है। कभी 50 हजार हेक्टेयर में उगने वाली यह प्रजाति वर्ष 2005 में 2000 हेक्टेयर पर कैसे पहुंच गया, इसका भी जिक्र है। डॉ रामचेत चौधरी की यह पुस्तक पीआरडीएफ संस्थान के जरिए किसानों के पास बचे हुए 250 प्रकार के जर्म प्लाज्म को एकत्र कर नवीन प्रजति केएन 3, बौना कालानमक 101, बौना कालानमक 102 और कालानमक किरण विकसित करने की दास्तान भी बयां करेगी। इस किताब में कालानमक धान को कानूनी दांवपेच आजमा कर खुद का उत्पाद बताने वाले किसी देश अथवा संस्था की गलत नियत से बचाने की सावधानियों के बारें में सचेत करेगी। अनेक प्रजातियों का है विवरण यह पुस्तक कालानमक धान की विविध प्रजातियों के गुण के विस्तृत विवरण के साथ खुद को विशेष बनाने वाली है। इतना ही नहीं, यह पुस्तक कालानमक धान में ज्यादा आयरन, ज्यादा प्रोटीन, ज्यादा जिंक और विटामिन ए के साथ शुगर फ्री होने की तथ्यात्मक जानकारी देती है तो कालानमक धान को सर्वोत्तम चावल भी स्थापित करने वाली है। पुस्तक में देश में चल रहे कालानमक धान पर अनुसंधान का विवरण भी है। इसकेे विकास के लिए सरकारी एवं गैर-सरकारी मदद का जिक्र भी है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने लिखी है प्रस्तावना पुस्तक की प्रस्तावना विश्वविख्यात धान प्रजनक एवं कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर डॉ गुरुदेव सिंह खुश ने लिखी है। शुभकामनाएं राज्यपाल उत्तर प्रदेश, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति, राज्यसभा एवं विधानसभा के सदस्य एवं राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान फिलीपींस, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधिकारियों ने दी है।
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