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गंगा समेत कई नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर, बाढ़ की चपेट में पटना के कई इलाके

बिहार के अन्य जिलाें के साथ राजधानी पटना भी बाढ़ की चपेट में है। गंगा, पुनपुन और सोन नदियां बेक़ाबू सैलाब लेकर राजधानी पटना समेत पूरे राज्य में तबाही मचा रही है। गंगा अपने किनारों को तोड़कर शहर की ओर अपना रूख कर रही है। इससे लोगों के रोज़मर्रा का जीवन जलजमाव के जाल में उलझ गया है।

केंद्रीय जल आयोग की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार पटना के दीघा, गांधी घाट, गाय घाट, गुलबी घाट, आलमगंज और बिंद टोली जैसे निचले इलाकों में गंगा का पानी खतरे के निशान से कई सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है।

दीघा घाट पर जलस्तर सुबह 6 बजे 36 सेमी ऊपर था, वहीं गांधी घाट पर यह आंकड़ा 97 सेमी तक पहुंच चुका है। स्थिति और भयावह होती जा रही है क्योंकि अब भी जलस्तर में निरंतर वृद्धि हो रही है।

गली-मुहल्लों में कमर तक पानी

गली-मुहल्लों में कमर तक पानी, सड़कों पर मौत की सरसराहट और घरों के आंगन में तैरते सांप पटना के लोग इस वक्त भय और बेबसी की दोहरी मार झेल रहे हैं। दानापुर के जजेज कॉलोनी में गंदे पानी की निकासी नहीं हो पा रही, जिससे लोग दरवाज़े पर सांप देख रातें जागकर गुज़ारने को मजबूर हैं।

सरकारी सहायता गुम

इस त्रासदी में सरकारी सहायता कहीं गुम है। कुर्जी मोड़ के पास बिंद टोली में लोग रबड़ ट्यूब की नावों से अपनी जान हथेली पर लेकर आवाजाही कर रहे हैं। स्थानीय युवक सौरभ कुमार ने बताया कि नौकरी से छुट्टी लेकर बच्चों की हिफ़ाज़त कर रहे हैं क्योंकि "पानी जितना दिखता है, उससे कहीं ज़्यादा डूबा हुआ ख़तरा है।

पेयजल की किल्लत, टॉयलेट संकट, और मेडिकल इमरजेंसी – सबकुछ एक ही सवाल पर टिक गया है: "सरकारी नाव कब आएगी?" लोग प्लास्टिक की छतों और बांस के सहारे ऊंची जगहों पर शरण लिए हुए हैं।

पटना जिला प्रशासन कह रहा है कि नाव संचालन जल्द शुरू होगा और कम्युनिटी किचन एवं पशुओं के लिए चारा उपलब्ध कराया जाएगा। अंचल अधिकारियों को रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है लेकिन जब तक रिपोर्ट बनेगी, तब तक बाढ़ कितने घर बहा ले जाएगी, ये किसी को नहीं पता।

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