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जांच एजेंसियों के प्रति राज्य सरकार और अधिकारी उदासीन :बाबूलाल मरांडी

रांची, 10 अक्टूबर (हि.स.)। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मंगलवार को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को लिखे पत्र में कहा कि झारखंड राज्य में मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार की जांच कर रही जांच एजेंसियों के अनुरोध के प्रति राज्य सरकार और उसके अधिकारी उदासीन हो गए हैं। ऐसे में सरकार से पूछा जाना चाहिए कि इस तरह के गैर-अनुपालन को संवैधानिक मशीनरी की विफलता या खराबी के रूप में क्यों नहीं माना जाए। यदि राज्य सरकार के स्तर से ऐसा असहयोग जारी रहता है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा की जाए। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियां वर्ष 2022 से मुख्य सचिव, झारखंड सरकार के कार्यालय को पत्र लिख रही हैं। उनसे कार्रवाई करने का अनुरोध कर रही हैं लेकिन राज्य सरकार इस पर मूकदर्शक और पूर्ण निष्क्रिय ही रही है। कई मामलों में कई अनुरोध भेजे गए हैं। कोई कार्रवाई नहीं की गई है और न ही कोई उत्तर दिया गया है। बाबूलाल मरांडी ने लिखा है कि झारखंड सरकार के मुख्य सचिव के कार्यालय में भ्रष्टाचार के मामलों में उच्च सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के अनुरोध को छोड़कर ऐसे दस से अधिक मामले लंबित हैं। जांच एजेंसियों को न तो कोई जवाब दिया गया है और न ही कोई कार्रवाई की गई है। खासकर उन मामलों में जहां एजेंसियों द्वारा अनुरोध के साथ अनेक सबूत उपलब्ध कराए गए हैं। उन्होंने इस संबंध में राज्य के मुख्य सचिव के साथ मुख्यमंत्री को भी लिखा था लेकिन दोनों में से किसी की ओर से अबतक कोई जवाब नहीं मिला। ऐसे में राज्य सरकार संविधान की मूल भावना के विपरीत कार्य कर रही है। इसके परिणामस्वरूप संवैधानिक तंत्र टूट गया है। राज्यपाल से तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते बाबूलाल ने कहा कि इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि राज्य सरकार कानून, संविधान के अनुसार कार्य करे।
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