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जेल में बंद विपुल चौधरी नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव

अहमदाबाद, 15 नवंबर (हि.स.)। गुजरात के सात जिलों में प्रभावी अर्बुदा सेना ने विधानसभा चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल को समर्थन नहीं करने का निर्णय किया है। इसके साथ ही अर्बुदा सेना के अध्यक्ष विपुल चौधरी के जेल से चुनाव लड़ने की चर्चा पर भी विराम लग गया है। मेहसाणा में अर्बुदा सेना के अध्यक्ष विपुल चौधरी के आम आदमी पार्टी से विसनगर सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर थी। उनके चुनाव लड़ने से आंजणा चौधरी समाज के प्रभाव वाले उत्तर गुजरात के 20 समेत मध्य और दक्षिण गुजरात मिलाकर कुल 37 सीटों पर वोटों में सेंधमारी की संभावना जताई जा रही थी। अब अर्बुदा सेना के अध्यक्ष चौधरी के चुनाव लड़ने की अटकलों पर पूर्णविराम लग गया है। मेहसाणा जिले के मणसा के समीप चराडा गांव में आंजणा चौधरी समाज के स्नेह मिलन कार्यक्रम में यह स्पष्ट कर दिया गया कि अर्बुदा सेना सिर्फ सामाजिक काम करेगी। वह किसी राजनीतिक दल को समर्थन नहीं करेगी। साथ ही उनके अध्यक्ष विपुल चौधरी भी किसी पार्टी की टिकट पर चुनाव नहीं लड़ेंगे। बंद मुट्ठी लाख की अर्बुदा सेना के प्रमुख विपुल चौधरी ने फिलहाल अपनी मुट्ठी बंद रखी है। संगठन के महामंत्री राजेश चौधरी ने बताया कि वे किसी भी राजनीतिक दल से अपने नेता विपुल चौधरी की रिहाई की मांग कर रहे हैं, जो उन्हें समर्थन करेंगे, इसके बाद ही कुछ आगे का रास्ता तय किया जाएगा। जानकारी के अनुसार चौधरी समाज का पाटण, बनासकांठा, मेहसाणा और साबरकांठा की 20 विधानसभा सीटों पर 7 लाख से अधिक मतदाता हैं। इसके अलावा पूरे गुजरात की बात करें तो 7 जिलों की 37 सीटों पर चौधरी समाज के प्रभावी मतदाता हैं। भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप जेल में बंद राज्य के पूर्व गृह मंत्री और दूध सागर डेयरी के पूर्व अध्यक्ष विपुल चौधरी उत्तर गुजरात के बड़े नेताओं में शुमार किए जाते हैं। वे केशुभाई पटेल और शंकरसिंह वाघेला मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके हैं। शंकर सिंह वाघेल का उन्हें दाहिना हाथ माना जाता था। फिलहाल वे दूध सागर डेयरी के 800 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप में जेल में बंद हैं। उनकी गिरफ्तारी पर उत्तर गुजरात के कई जिलों में आंजणा चौधरी समाज के लोगों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया था। इस वजह से आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक व दिल्ली के मुख्मयंत्री की मौजूदगी में उनके पार्टी से जुड़कर विसनगर से चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही थी, जिस पर फिलहाल ब्रेक लग गया है।
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