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भविष्य के युद्धक्षेत्र में तीनों सेनाओं के तालमेल पर रक्षामंत्री ने जोर दिया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नौसेना कमांडरों के सम्मेलन में भविष्य के युद्धक्षेत्र के लिए तीनों सेनाओं की संयुक्तता और एकीकरण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए भारतीय नौसेना से नेतृत्वकारी भूमिका निभाने का आह्वान किया। नौसेना कमांडरों के द्विवार्षिक सम्मेलन का पहला संस्करण 05 से 08 मार्च तक आयोजित किया गया, जिसमें महत्वपूर्ण समुद्री सुरक्षा मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। सैन्य-सामरिक स्तर सम्मेलन का उद्घाटन सत्र विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर हुआ लेकिन इसके बाद 07 और 08 मार्च को यह कमांडर कांफ्रेंस हाइब्रिड प्रारूप से नई दिल्ली में हुई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा स्टाफ के प्रमुख, रक्षा सचिव और अन्य के साथ उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की। रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और नौसेना कमांडर उपस्थित थे। रक्षा मंत्री ने पश्चिम एशिया और आसपास के समुद्रों में हाल की घटनाओं पर भारतीय नौसेना की बहादुरी भरी त्वरित प्रतिक्रिया की सराहना करते हुए कमांडरों से संघर्ष के सभी क्षेत्रों में संचालन के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने की दिशा में भारतीय नौसेना से अपेक्षित नेतृत्वकारी भूमिका को रेखांकित किया। इसके अलावा रक्षा मंत्री ने भविष्य के युद्धक्षेत्र को अनुकूल रूप देने और प्रभावित करने के लिए त्रि-सेवाओं की संयुक्तता और एकीकरण के महत्व पर जोर दिया। नई दिल्ली की कार्यवाही में 07-08 मार्च को प्रमुख परिचालन, सामग्री, बुनियादी ढांचे, रसद और कार्मिक संबंधी पहल की समीक्षा की गई। इसके अलावा वरिष्ठ नौसैनिक नेतृत्व ने समुद्री क्षेत्र में समकालीन और भविष्य की चुनौतियों को कम करने के लिए द्वीप क्षेत्रों में क्षमता वृद्धि सहित मौजूदा और भविष्य की योजनाओं के बारे में चर्चा की। भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीवी चौधरी ने भी नौसेना कमांडरों के साथ परिचालन वातावरण के अपने आकलन को साझा किया। दोनों सेवा प्रमुखों ने मौजूदा और उभरती सुरक्षा चुनौतियों के बीच तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और सहयोग को बढ़ाने के लिए कई क्षेत्रों और डोमेन में राष्ट्रीय हितों के मद्देनजर रूपरेखा तैयार की। सम्मेलन के इतर नौसेना कमांडरों ने 08 मार्च को ''सागर मंथन'' कार्यक्रम के दौरान विभिन्न ''थिंक टैंक'' के साथ भी बातचीत की। इस फोरम ने आत्मनिर्भरता पहल को आगे बढ़ाने और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के तरीकों, साधनों और नए तरीकों पर विचार-विमर्श करने के लिए एमएसएमई, इनोवेटर्स और शिक्षाविदों के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान किया।
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