अम्बाला, 11 जनवरी
अतिरिक्त उपायुक्त सचिन गुप्ता ने आज उपायुक्त कार्यालय में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ कोविड़-19 के दृष्टिगत जिले में की गई स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था बारे जानकारी ली। उन्होने इस दौरान सर्दी के मौसम में भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोगों को स्वास्थ्य संबधी जो सुविधाएं प्रदान की जा रही है उसकी भी समीक्षा की।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए अतिरिक्त उपायुक्त सचिन गुप्ता ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से कोविड-19 के दृष्टिगत जो व्यवस्थाएं की गई हैं उसकी विस्तार से जानकारी हासिल की। सिविल सर्जन डा0 कुलदीप सिंह ने अतिरिक्त उपायुक्त को अवगत करवाते हुए बताया कि जिला अम्बाला में कोविड-19 के दृष्टिगत सभी चिकित्सा सुविधाएं दुरूस्त हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर 6 ऑक्सीजन प्लांट क्रियान्वित हैं, इसके साथ-साथ 300 ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर, ऑक्सीजन बैडों की व्यवस्था के साथ-साथ सैंपल लेने की भी व्यवस्था है। स्वाईन फलू के टैस्ट से सम्बन्धित भी यहां पर लैब कार्य कर रही है। बैडों की व्यवस्था के साथ-साथ अन्य चिकित्सा सुविधाएं बेहतर एवं दुरूस्त हैं। यदि कोविड-19 से सम्बन्धित यदि कोई वेव आती है तो उससे निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तैयारियां की हुई हैं।
सर्दी के मौसम में जुखाम, बुखार या अन्य कोई भी बिमारी से सम्बन्धित मरीज अस्पताल में आते हैं उन्हें पूरी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही हैं। उन्होंने सर्दी के मौसम में आवश्यक हिदायतों बारे बताते हुए कहा कि पर्याप्त मात्रा में गरम कपड़े रखें। ओढऩे के लिए बहुपरत के कपड़े भी उपयोगी हैं। आपातकाल की आपूर्ति हेतु तैयार रहें।
शीतलहर के दौरान यथासंभव घर के अंदर रहें, ठंडी हवा से बचने के लिए कम से कम यात्रा करें। सूखा रहें, यदि गीले हो जाएं तो शरीर की गर्मी को बचाने के लिए शीघ्रता से कपड़े बदलें। निरंगुल दस्ताने को चुने, निरंगुल दस्ताने ठंड में ज्यादा गरम और ज्यादा अच्छा रक्षा कवच होता है। मौसम की ताजा खबर के लिए रेडियो सुने, टीवी देखें और समाचार पत्र पढें। नियमित रूप से गरम पेय सेवन करें। बुजुर्ग और बच्चों की ठीक से देखभाल करें। ठंड में पाईप जम जाता है, इसलिए पेय जल का पर्याप्त संग्रहण करके रखें। उंगलियों, अंगुठों के सफेद होना या फीकापन, नाक के टिप में शीत दंश लक्षण प्रकट होते हैं। शीत दंश से प्रभावित क्षेत्रों को गर्म नहीं करें, गर्म पानी डालें (शरीर के अप्रभावित हिस्सों के लिए तापमान स्पर्श करने के लिए आरामदायक होना चाहिए)।
हायपोथरमिया होने की स्थिति में प्रभावित व्यक्ति को गरम स्थान पर ले जाकर उसके कपड़े बदले। प्रभावित व्यक्ति के शरीर को शरीर के साथ सम्पर्क करके गरम करें। कंबल के बहुपरत, कपड़े, टावेल या शीट से ढकें। शरीर को गरम करने के लिए गरम पेय दें, शराब न दें। हालत बिगडऩे पर डाक्टरी सलाह लें।
शराब का सेवन न करें, यह शरीर के तापमान को घटाता है। शीतदंश क्षेत्र की मालिश न करें, इससे अधिक नुकसान हो सकता है। कंपकंपी को नजरअंदाज न करें, यह एक महत्वपूर्ण पहला संकेत है कि शरीर गर्मी खो रहा है और प्रभावित व्यक्ति को तुरंत घर के अंदर करें।
फसलों को ठंड से बचाने के लिए प्रकाश की व्यवस्था करें और बार-बार सिंचाई/स्प्रिंकलर सिंचाई करें। बिना पके फलों के पौधों को सरकंडा/स्ट्रॉ/पॉलीथिन शीटस/गनी बैग से ढक दें। केले के गुच्छों को छिद्र युक्त पॉलीथिन बैग से ढक दें। धान की नर्सरी में रात के समय नर्सरी क्यारियों को पॉलीथिन की चादर से ढक दें और सुबह हटा दें। शाम की नर्सरी क्यारियों की सिंचाई करें और सुबह पानी निकाल दें। ठंड के मौसम में मिट्टी में पौषक तत्व न डालें, खराब जड़ गतिविधि के कारण अवशोषित नहंी कर सकते। फरवरी के अंत में या मार्च की शुरूआत में पौधों के प्रभावित हिस्सों की छंटाई करें। काटे गये पौधों पर तांबा कवकनाशी का छिडकाव करें और सिंचाई के साथ एनपीके दें।
पशुपालन से सम्बन्धित हिदायतों बारे उन्होने कहा कि मवेशियों को रात के समय शैड के अंदर रखें और उन्हें सुखा बिस्तर लगाकर ठंड से बचाने के लिए प्रबंध करें। ठंड की स्थिति से निपटने के लिए पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए प्रोटिन में आहार में खनीजों को बढाएं। पोल्ट्री शैड में कृत्रिम प्रकाश प्रदान करके चुजों को गर्म रखें आदि बारे विस्तार से जानकारी दी।
बैठक में सिविल सर्जन डा0 कुलदीप सिंह, डा0 सुखप्रीत, डा0 कुलदीप, डीआरओ कैप्टन विनोद शर्मा, डीईओ सुधीर कालड़ा, डीआईपीआरओ धर्मेन्द्र कुमार, बाल कल्याण परिषद अधिकारी शिवानी सूद के साथ-साथ सम्बन्धित अधिकारी मौजूद रहे।