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महाराष्ट्र में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवा चरमराई

मुंबई, 03 जनवरी (हि.स.)। महाराष्ट्र में राज्य सरकार और नगर निगम के अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (मार्ड) के नेतृत्व में चल रहे इस हड़ताल का मंगलवार को दूसरा दिन है। राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री गिरीश महाजन ने हड़ताली डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की, जो बेअसर रही। महाजन ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रेजीडेंट डॉक्टरों की अधिकांश मांगें मान ली गई हैं। जो मांगें रह गई हैं, उन बिंदुओं को चर्चा के माध्यम से निपटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि वे हड़ताली डॉक्टरों पर सख्ती नहीं बरतेंगे। मुंबई समेत राज्यभर के अस्पतालों के करीब 6 हजार डॉक्टर हड़ताल पर हैं। इससे विभिन्न जिलों के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा काफी हद तक प्रभावित हुई है। वरिष्ठ डॉक्टर सिर्फ इमजेंसी सेवा में तैनात हैं। हड़ताल का असर मुंबई के जेजे, नायर, केईएम, कूपर, सायन जैसे बड़े अस्पतालों में दिखा है। ज्यादातर मरीजों के ऑपरेशन टाल दिए गए हैं। मार्ड ने चेतावनी दी है कि अगर मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और आक्रामक होगा। मार्ड की मुख्य मांग रेजिडेंट डॉक्टरों का 2018 से बकाया भुगतान करने और वरिष्ठ डॉक्टरों की भर्ती करने की है। संगठन ने प्रदेश में 1,432 रेजिडेंट डॉक्टरों के नए पद सृजित करने की मांग की है, साथ ही राज्य के सभी रेजिडेंट डॉक्टरों को समान वेतनमान लागू करने, शासकीय चिकित्सा छात्रावासों एवं शौचालयों की बदहाली को दूर करने, मेडिकल छात्रों की संख्या के अनुसार प्रोफेसरों की भर्ती करने की भी मांग की है।
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