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स्नान पर्व पर इस बार विशिष्ट योग में डुबकी लगायेंगे श्रद्धालु

वाराणसी,19 जनवरी (हि.स.)। मौनी अमावस्या इस बार 21 जनवरी शनिवार को है। स्नान पर्व पर गंगा स्नान के लिए उमड़ने वाली भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी है। घाटों पर पंडा समाज और पुजारी भी स्नान पर्व को लेकर उत्साहित है। खास बात यह है कि मौनी अमावस्या पर 30 साल बाद खास दुर्लभ संयोग बन रहा है। स्नान पर्व पर खप्पर योग बन रहा है। जिसमें धार्मिक कार्य और शनि से जुड़े कुछ उपाय को करने से श्रद्धालुओं को लाभ मिलता है । शनि हर ढाई साल में राशि परिवर्तन करते है। इस ढाई वर्ष की अवधि में शनि कभी मार्गी तो कभी वक्री अवस्था में चलते है। इस बार शनि ने मौनी अमावस्या से ठीक चार दिन पहले 17 जनवरी को राशि परिवर्तन किया है। शिव आराधना समिति के डॉ मृदुल मिश्र बताते है कि इस वक्त शनिदेव कुंभ राशि में विराजमान हैं । इसी वजह से मौनी अमावस्या एक अद्भुत और दुर्लभ संयोग में पड़ रही है। इस वक्त मकर राशि में सूर्य और शुक्र की युति है। साथ ही त्रिकोण की स्थिति में खप्पर योग का निर्माण कर रही है। जब भी इस प्रकार की युति बनती है तो अलग-अलग तरह के योग-संयोग बनते हैं। उन्होंने बताया कि मौनी अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और प्रत्यक्ष देवता सूर्य देवता की पूजा का विधान है। हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को मौनी अमावस्या मनाई जाती है। मौनी अमावस्या को स्नान और दान का विशेष महत्व है। स्नान पर्व पर्व पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करने के बाद गंगा या पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। किसी कारण से ऐसा न हो पाने पर घर के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय 'गंगा च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन संनिधिम कुरु' मंत्र पढ़ते हुए चराचर जगत के पालनहार श्रीहरि भगवान विष्णु का ध्यान करें और मौन व्रत का संकल्प लें। इसके बाद साफ वस्त्र पहनें और भगवान सूर्य को अर्घ्य देना दे। इसके बाद जरूरतमंदों को तेल, गुड़, वस्त्र, कंबल इत्यादि का दान अवश्य करें। साथ ही सामर्थ्य अनुसार भोजन का भी दान करें।
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