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उत्तराखंड : पतंजलि और कोरियाई विश्वविद्यालय के बीच समझौता पत्र पर हुए हस्ताक्षर

हरिद्वार, 10 अक्टूबर (हि.स.)। उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित पतंजलि संस्थान और कोरिया के देगू हानी विश्वविद्यालय के बीच मंगलवार को समझौते पर हस्ताक्षर हुए। पतंजलि संस्थान का प्रतिनिधित्व करते हुए आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि दोनों संस्थान सांस्कृतिक आदान प्रदान के साथ विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद व योग में आधुनिक शोध को आगे बढ़ाएंगे। कोरियाई चिकित्सा प्रणाली के लिए भी मिलकर काम करेंगे। इस अवसर पर देगू हानी विश्वविद्यालय के अध्यक्ष बाय चैंग हुन ने कहा कि हमें भारत की आयुर्वेद और योग परम्परा के सबसे बड़े विश्वविद्यालय पतंजलि के साथ समझौता करने का अवसर मिला है। अब हम भारत के इस ज्ञान से अपने विद्यार्थियों व शोधार्थियों को और ज्ञानवान कराने में सक्षम होंगे। भविष्य में पतंजलि के सहयोग से कोरिया की चिकित्सा परम्परा को समृद्धशाली बनाया जाएगा। आचार्य बालकृष्ण ने कहा इस समझौते के माध्यम से दोनों संस्थान मिलकर सुखी, शांत, स्वस्थ एवं समृद्धशाली विश्व के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाएंगे। उन्होंने बताया कि उक्त विश्वविद्यालय कोरिया की ट्रेडिशिनल मेडिसिन सिस्टम और अनुसंधान के क्षेत्र में सबसे बड़ा एवं सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है जहां अब पतंजलि के साथ मिलकर आयुर्वेद पर अनुसंधान का बड़ा कार्य किया जाएगा। साथ ही आयुर्वेद और योग के ज्ञान को कोरिया में स्थापित करने के लिए कोरिया के विद्यार्थी पतंजलि विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए भारत आएंगे और कोरियन मेडिसिन सिस्टम के ज्ञान अर्जन के लिए पतंजलि के अध्यापक और विद्यार्थीगण अपने ज्ञान का आदान-प्रदान करेंगे। भविष्य में हम उत्पादों के निर्माण एवं अनुसंधान के क्षेत्र में भी मिलकर काम करेंगे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष मून सीप किम, प्रोफेसर सून ए. पार्क और उप-संकायाध्यक्ष व जनसंपर्क अधिकारी ची. चंग सांग, पतंजलि की ओर से पतंजलि के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय, सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ के यूनिवर्सिटी रिसर्च कमेटी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. हीरो हित्तो आदि उपस्थित रहे।
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