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नेपाल की अन्नपूर्णा चोटी से गिरा पर्वतारोही तीन दिन बाद जिंदा मिला, अस्पताल में भर्ती

अजमेर, 20 अप्रैल नेपाल स्थित दुनिया की दसवीं सबसे ऊंची चोटी माउंट अन्नपूर्णा से लापता हुए किशनगढ़ निवासी पर्वतारोही अनुराग मालू (34) को इंडो-नेपाल आर्मी ने तीन दिन बाद ढूंढ लिया है। गुरुवार सुबह करीब दस बजे इंडो-नेपाल आर्मी ने उन्हें रेस्क्यू कर अस्पताल में भर्ती कराया है। मालू के जिंदा मिलने से किशनगढ़ निवासी उनके परिवार ने राहत की सांस ली है। किशनगढ़ निवासी अनुराग मालू 24 मार्च को नेपाल के लिए रवाना हुए थे। किशनगढ़ से जयपुर और जयपुर से दिल्ली होते हुए काठमांडू गए थे। इसके बाद अनुराग ने अन्नपूर्णा चोटी पर चढ़ाई शुरू की थी। 17 अप्रैल को मालू चढ़ाई के दौरान छह हजार मीटर ऊंचे पहाड़ों के बीच की दरार में गिर गए थे। बाद में उनकी कोई जानकारी नहीं मिली। अनुराग मालू के लापता होने के बाद टीम ने सर्च अभियान चलाया, लेकिन कोई पता नहीं चला। इसके बाद परिजनों को सूचना दी। भाई आशीष मालू सहित अन्य परिजन वहां पहुंच गए। इसके बाद लगातार सर्च जारी रहा। मालू की तलाश के लिए अजमेर से सांसद भागीरथ चौधरी ने शेरपा और थर्मल ड्रोन जल्द से जल्द उपलब्ध करवाने की मांग की थी। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और नेपाल के काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास को पत्र लिखा था। अजमेर कलेक्टर ने भी पत्र लिखा था। लोकेशन ट्रेस होने पर इंडियन आर्मी व नेपाल आर्मी के साथ अन्य संगठन ने गुरुवार को फिर उनकी तलाश शुरू की। रेस्क्यू टीम को गुरुवार सुबह सफलता मिल गई। इंडियन आर्मी व नेपाल आर्मी के संयुक्त रेस्क्यू अभियान चलाकर मालू को निकाला और अस्पताल में भर्ती कराया। पर्वतारोही के पिता ओमप्रकाश मालू ने बताया कि भगवान का शुक्र है कि बेटा सकुशल मिल गया। उसे पोखरा के मणिपाल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अभी वह बात करने की स्थिति में नहीं है। उसकी हालत ठीक बताई जा रही है। अनुराग ने बीटेक किया है। वह युवाओं की काउंसलिंग भी करता रहता है। छोटा भाई आशीष सीए है। पिता ओमप्रकाश ने बताया कि अनुराग ने पर्वतारोहण की पूरी ट्रेनिंग ले रखी थी। मालू पर्वतारोहण के लिए प्रसिद्ध पर्वतारोही बछेंद्री पाल के स्टूडेंट हैं। उल्लेखनीय है कि माउंट अन्नपूर्णा पर्वतारोहियों के लिए सबसे खतरनाक पर्वतों में से एक माना जाता है। अनुराग ने पिछले साल ही नेपाल स्थित माउंट अमा डबलाम पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की थी। वे माउंट एवरेस्ट, अन्नपूर्णा और ल्होत्से पर चढ़ने की योजना बना रहे हैं। मालू कर्मवीर चक्र से भी सम्मानित हो चुके हैं। वह भारत से अंटार्कटिक यूथ एंबेसडर बने थे।
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