नागपूजा के महापर्व नागपंचमी सोमवार को विंध्य क्षेत्र ने बड़े उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया। घरों में नाग देवता की विधि-विधान से पूजा की गई। उन्हें दूध-लावा चढ़ाया गया। सुबह से ही गली, मोहल्लों में बच्चों की टोली ‘छाेटे गुरु का बड़े गुरु का नाग लो भई नाग लो’ की हांक लगाते घूमने लगी थी। लोगों ने घर की ड्योढ़ी पर नाग देवता का चित्र लगाकर उन्हें श्रद्धा समर्पित की। परंपरा का निर्वहन कर विशेष व्यंजन बनाए गए। पशु पालकों ने पशुओं के सींग को रंगों से सजा कर पर्व की परंपरा निभाई।
नागकुंड के दर्शन को उमड़ी भीड़
नागपंचमी पर विंध्याचल के कंतित स्थित नाग कुंड के दर्शन की मान्यता है। इसके चलते वहां सुबह से ही दर्शनार्थियों का रेला उमड़ पड़ा। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने नाग कुंड का दर्शन कर नाग देवता को प्रसन्न करने का जतन किया। इसके अलावा जिले भर के शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन के लिए उमड़ी रही।
कम दिखे सपेरे
नाग पंचमी पर नाग देवता के दर्शन की मान्यता है। घरों, मोहल्लों में सपेरे घूम-घूमकर लोगों को नाग देवता का दर्शन कराते हैं, लेकिन इस बार लोगों को सपेरों का इंतजार करना पड़ा। इस बार शहर में सपेरे कम दिखे, जो नजर आए उन्होंने लोगों की आस्था को कैश कराया।
अखाड़े गुलजार
नागपंचमी के दिन अखाड़ों में कुश्ती दंगल का आयोजन किया जाता है। शहर के लगभग सभी अखाड़ों में पहलवानों की उठा पटक हुई। पहलवानों ने कुश्ती के साथ गदा और नाल भांजकर शारीरिक बल का प्रदर्शन किया। कुश्ती दंगल में नामी-गिरामी पहलवानों ने एक-दूसरे के खिलाफ दांवपेंच दिखाए।