बेगूसराय, 30 नवम्बर (हि.स.)। गंगा की स्वच्छता के साथ गंगा से जुड़े साहित्य के प्रति जन जागृति के लिए उत्तराखंड से चली राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (नेशनल बुक ट्रस्ट) और नमामि गंगे की गंगा पुस्तक परिक्रमा टोली अपने 14वें पड़ाव बेगूसराय में हजारों लोगों को जागरूक कर बुधवार को सुल्तानगंज के लिए प्रस्थान कर गई।
इस टीम ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के पैतृक गांव सिमरिया से कार्यक्रम की शुरुआत कर डीएवी में समापन किया। इस दौरान ना केवल हजारों बच्चे और स्थानीय लोग सचल पुस्तक प्रदर्शनी से लाभान्वित हुए, बल्कि गंगा और पर्यावरण की स्वच्छता के विभिन्न आयामों से भी जागरूक हुए। बेगूसराय के डीएवी इटवा में जब गंगा पुस्तक परिक्रमा की टीम पहुंची तो तमाम बच्चों ने गर्मजोशी से स्वागत किया।
बड़ी संख्या में पुस्तक खरीदने के साथ-साथ स्टोरी टेलिंग और चित्रकला में शामिल होकर बच्चों ने अपनी भावना का इजहार किया तथा इस कार्यक्रम को अद्भुत बताया। विद्यालय की छात्रा गार्गी भारद्वाज ने कहा कि राष्ट्रीय पुस्तक न्यास और नमामि गंगे की इस टीम से जो अद्भुत बातें सिखने को मिली वह अद्वितीय है। हम लोगों को ना केवल साहित्य, पर्यावरण, जल और जीवन से जुड़ी जानकारी मिली, बल्कि हमारे जीवन में पुस्तकालय के महत्व को भी बता गया।
इटवा डीएवी के प्राचार्य सविता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए नमामि गंगे और शिक्षा मंत्रालय के इस कार्यक्रम ने बच्चों को अच्छी जानकारी दी। मोबाइल वैन ने बहुत कुछ सिखाया, शिक्षा तथा इको फ्रेंडली एनवायरमेंट आदि के लिए जागरूक किया। इटवा डीएवी परिवार सौभाग्यशाली है कि उत्तराखंड से शुरू यह टीम डीएवी में सबसे पहले यहां पहुंची। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी प्रधानमंत्री के उस उद्देश्य को पूरा कर रही है जिसमें उन्होंने कहा है कि ''पढ़ने से बड़ा कोई आनंद नहीं और ज्ञान से बड़ी कोई ताकत नहीं।''
इटवा डीएवी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बाल रंगमंच आर्ट एंड कल्चरल सोसायटी बीहट के निदेशक रंगकर्मी ऋषिकेश कुमार के द्वारा स्टोरी टेलिंग के माध्यम से बच्चों के एमेजिनेशन को खेल-खेल में दिखाया गया। बच्चों ने गंगा किनारे का अपने भाव-भंगिमा से दृश्य बनाया। उसके बाद दिखाया गया कि गंगा हमारी मां के समान है, हमें उसे दूषित नहीं करना चाहिए। वहीं दूसरी ओर पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित किया गया। उसके बाद बच्चों को पुरस्कृत किया गया।
नमामि गंगे के बेगूसराय डीपीओ विपुल कुमार सिंह ने बताया कि यह कार्यक्रम जन जागरूकता के लिए बेहतरीन अभियान है। नमामि गंगे के अलग-अलग आयाम हैं, जिसके माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। प्लांटेशन, जल संरक्षण औल स्वच्छता के प्रति विभिन्न कार्यक्रम से लोग जागरूक हुए हैं।
सचल पुस्तक परिक्रमा के प्रभारी आकाश कुमार ने बताया कि गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री से शुरू यह कार्यक्रम 81 दिनों में पांच राज्य उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के 20 शहरों की यात्रा कर 22 दिसम्बर को गंगा और सागर के मिलन स्थल हल्दिया में जाकर सम्पन्न होगा। कार्यक्रम का उद्देश्य गंगा किनारे गंगा की बातें करते हुए साहित्य, पर्यावरण, जल और जीवन से संबंधित परिचर्चा एवं कथा वाचन सहित अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से गंगा की स्वच्छता, पर्यावरण सुरक्षा, गंगा किनारे उद्गम हुए साहित्य को जन-जन तक पहुंचाना है।
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास और नमामि गंगे मिलकर यह कार्यक्रम कर रही है, ताकि लोग सजग हों सतर्क हों और अपनी संस्कृति को आत्मसात कर आगे बढ़ते रहें। शिक्षा और स्वच्छता दोनों एक-दसरे के पूरक हैं। हम सब हर जन को बताना चाहते हैं कि गंगा आपके संस्कृति को कैसे प्रभावित करती है। प्रदर्शनी में 55 भाषा के 15 सौ से अधिक पुस्तकें साथ चल रही है, जिसमें सिर्फ गंगा और पर्यावरण ही नहीं, समाज और साहित्य से लेकर विषय गत पुस्तकें भी रखी गई है, ताकि लोग पढ़ने की आदत विकसित करें। टीम में बिहार एवं झारखंड प्रभारी सुदर्शन लाल, सहायक सुशील कुमार, राम लखन एवं गजराज आदि साथ चल रहे हैं।