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महाकाल लोक में सप्तऋषियों की नई मूर्तियां ही लगेंगी, मुख्यमंत्री चौहान

- कांग्रेस ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

भोपाल, 31 मई (हि.स.)। उज्जैन में भगमान महाकाल के आंगन में निर्मित महाकाल लोक में तेज आंधी के कारण गिरी मूर्तियों के बाद प्रदेश में राजनीति तेज हो गई है। आंधी से उखड़ी सप्त ऋषियों की मूर्तियों की मरम्मत नहीं की जाएगी। यानी खंडित मूर्तियां नहीं लगाई जाएंगी। इसकी जगह सप्त ऋषियों की नई मूर्तियां लगाई जाएंगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को इसके निर्देश दिए हैं।

उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने बताया कि मुख्यमंत्री के आदेश के मुताबिक सभी 6 मूर्तियों को नया इंस्टॉल किया जाएगा। इसका खर्च भी कंपनी ही वहन करेगी। इसे दो महीने का वक्त लगेगा।

दरअसल, बीते रविवार की शाम को उज्जैन में तेज आंधी के साथ हुई जोरदार बारिश के दौरान महाकाल लोक परिसर में लगी सप्त ऋषियों की 7 में से 6 मूर्तियां गिरकर क्षतिग्रस्त हो गई थीं। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने जांच के लिए सात सदस्यीय कमेटी बनाई थी।

वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस के सात सदस्यीय जांच दल ने मूर्ति लगाने में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। कांग्रेस के जांच दल ने सोमवार को महाकाल लोक का जायजा लिया ता। दल विशेषज्ञ के तौर पर मूर्तिकारों और तकनीकी एक्सपर्ट्स को अपने साथ महाकाल लोक ले गए थे। जांच के बाद बुधवार को भोपाल में पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और शोभा ओझा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि इन मूर्तियों को बनाने में घटिया चायनीज शीट का इस्तेमाल किया गया है।

कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि 4 सितम्बर 2018 को तत्कालीन शिवराज सरकार ने निविदा क्रमांक 52/ यूएससीएल/ 1819 की योजना बनाई थी। इसकी अनुमानित लागत 97 करोड़ 71 लाख थी। कांग्रेस की सरकार के आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस राशि को बढ़ाकर 300 करोड़ रुपये कर दिया। कांग्रेस सरकार ने 7 मार्च 2019 को इसका वर्कऑर्डर जारी किया था।

उन्होंने बताया कि फायबर रिइन्फोर्सड प्लास्टिक की प्रतिमाओं की मजबूती के लिए लोहे का आंतरिक ढांचा बनाया जाता है, लेकिन महाकाल लोक की प्रतिमाओं में यह स्टील का इंटरनल स्ट्रक्चर नहीं बनाया गया। प्रतिमाओं के निर्माण में उपयोग की जाने वाली नेट की मोटाई 1200 से 1600 ग्राम जीएसएम की होना चाहिए, लेकिन महाकाल लोक में स्थापित की गई प्रतिमाओं में 150 से 200 ग्राम जीएसएम की ही चायनीज नेट उपयोग की गई। मूर्तियों को बिना बेस (फाउंडेशन) के 10 फीट ऊंचे पेडेस्टल पर सीमेंट से जोड़ा गया। इसी कारण, 30 किलोमीटर प्रतिघंटे की हल्की रफ्तार से चली हवा में ही मूर्तियां गिरकर क्षतिग्रस्त हो गईं। निविदा की शर्त क्रमांक 2 जो कि पृष्ठ क्रमांक 107 पर अंकित है, जिसमें स्पष्ट निर्देश हैं कि मूर्तियों की गुणवत्ता की जांच के लिए साइट पर ही मटेरियल टेस्टिंग लैबोरेटरी बनाई जानी थी। ये लैब नहीं बनाई गई।

सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि 11 अक्टूबर 2022 को आनन-फानन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाकाल लोक का उद्घाटन किया। घोषणा की थी कि ये मूर्तियां न कभी गिरेंगी और न ही कभी बदरंग होंगी। इस दावे को चुनौती देते हुए ठीक एक महीने बाद 24 नवम्बर 2022 को स्मार्ट सिटी प्रशासन ने पीयू कलर्स वेदरकोट प्राइमर आदि का 96 लाख रुपए का टेंडर निकाला, जबकि ये मूर्तियां तीन साल के वारंटी पीरियड में थीं। निविदा शर्त के अनुसार मूर्तियों के बदरंग होने की वजह मूर्तियों की घिसाई न होना, प्राइमर और वेदरप्रूफ पीयू रंग का पर्याप्त इस्तेमाल न होना है। अब सवाल यह है कि 24 नवम्बर 2022 के टेंडर के माध्यम से खरीदी गई सामग्री कहां गई? उसका उपयोग क्यों और किसलिए नहीं हुआ? क्या उक्त टेंडर के माध्यम से कागजी खरीदी की गई? यह जांच का विषय है।

वर्मा ने कहा कि उज्जैन में ही एक ही तरह की, एक ही ठेकेदार द्वारा लगाई गई मूर्तियों के निर्माण की लागत में बड़ा अंतर सामने आया है। उज्जैन मे सिंधी समाज द्वारा 25 फीट ऊंची मूर्ति का निर्माण 4 लाख 11 हजार रुपये में करवाया गया, जबकि महाकाल लोक में 15 फीट ऊंची प्रतिमा का भुगतान 10 लाख 2 हजार रुपये किया गया। मानकों के अनुसार 15 फीट ऊंची प्रतिमा की कीमत अधिकतम 3 लाख रुपये हो सकती थी।

कांग्रेस के आरोपों पर नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि महाकाल लोक के लिए कांग्रेस सरकार ने एक नया पैसा नहीं दिया। महाकाल लोक के लिए भू-अर्जन तक भाजपा की सरकार में हुआ। बीच में जब कांग्रेस की सरकार थी, तब सज्जन सिंह वर्मा प्रभारी मंत्री थे। सज्जन सिंह वर्मा ने प्रेजेंटेशन देखा था। उस समय नगरीय प्रशासन मंत्री, पीसी शर्मा भी मौजूद थे। उस समय प्रेजेंटेशन की प्रशंसा की थी। यदि भ्रष्टाचार हुआ है, तो लिखकर दें।

उन्होंने कहा कि 2016 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नेतृत्व में देश के इतिहास का सबसे अच्छा सिंहस्थ हुआ था। धार्मिक क्षेत्रों में भाजपा की सरकार में ही काम हुआ है। महाकाल लोक, ओंकारेश्वर, ओरछा, चित्रकूट का विकास भाजपा की सरकार में हुआ। कांग्रेस ने धर्म के लिए कभी कुछ नहीं किया। दिग्विजय सिंह बताएं कि उन्होंने 10 साल में क्या किया? कांग्रेस ने सिर्फ धर्म के नाम पर राजनीति की। कांग्रेस ने हिंदू धर्म का मजाक उड़ाने का काम किया है।

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