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नेपाल में विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति से की दल विभाजन अध्यादेश रोकने की मांग

काठमांडू, 25 अक्टूबर (हि.स.)। नेपाल के विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल से मुलाकात कर सरकार द्वारा लाए जा रहे दल विभाजन अध्यादेश को स्वीकृत नहीं करने की मांग की। विपक्षी दलों का आरोप है कि उनकीनपटी के विभाजन लाने के उद्देश्य से सत्ता पक्ष द्वारा दल विभाजन संबंधी अध्यादेश लाया जा रहा है।


मुख्य विपक्षी दल सीपीएन (एमसी) के नेता पुष्पकमल दाहाल 'प्रचंड' के नेतृत्व में विपक्षी नेताओं ने शुक्रवार को राष्ट्रपति से मुलाकात की। सीपीएन (एमसी) के नेता शक्ति बस्नेत ने बताया कि राष्ट्रपति से इस सरकार के द्वारा उठाए जाने वाले असंवैधानिक कदम में साथ नहीं देने की अपील की गयी है। प्रचंड ने राष्ट्रपति को स्मरण दिलाया कि वो देश के संविधान के संरक्षक की भूमिका में हैं इसलिए संविधान की रक्षा करना उनका पहला दायित्व बनता है।


राष्ट्रपति से मुलाकात करने गए एकीकृत समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष माधव कुमार नेपाल ने सरकार पर देश में दो दलीय शासन व्यवस्था लाने का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया। उन्होंने राष्ट्रपति से कहा कि सभी दलों में विभाजन लाकर प्रधानमंत्री सभी दलों से सांसद को अपनी पार्टी में विलय कराना चाह रहे हैं। इसलिए राष्ट्रपति को ऐसे असंवैधानिक अध्यादेश को स्वीकृत नहीं करना चाहिए।


प्रतिनिधिमंडल में शामिल राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के सांसद शिशिर खनाल ने कहा कि सरकार जान बूझकर विपक्षी नेताओं को निशाना बना रही है और उन्हें विभिन्न झूठे केसों में फंसा कर जेल में डालने की योजना बना रही है। अपनी पार्टी के अध्यक्ष रवि लामिछाने की गिरफ्तारी को राजनीतिक प्रतिशोध बताते हुए खनाल ने कहा कि उनको इस मामले में भी हस्तक्षेप करना चाहिए। विपक्षी नेताओं को राष्ट्रपति ने आश्वासन दिया कि वे किसी भी अध्यादेश पर कानूनी राय लेकर ही निर्णय करेंगे।

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