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माघ मेला : मौनी अमावस्या पर एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई डुबकी

माघ मेले के मुख्य स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं का सैलाब नजर आया। सिर पर आस्था की गठरी लिए सुगमता से संगम की तरफ आगे बढ़ रहे करोड़ों श्रद्धालुओं के चेहरे पर आत्म संतुष्टि का भाव स्पष्ट दिख रहा था। संगम किनारे बनाये गए स्नान घाटों में प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्था से श्रद्धालु सहज होकर त्रिवेणी में पुण्यार्जन के लिए डुबकी लगा रहे हैं। मेला प्रशासन के मुताबिक सुबह आठ बजे तक 90 लाख श्रद्धालु एवं दस बजे तक एक करोड़ से अधिक लोग डुबकी लगा चुके हैं। संगमनगरी में जगह-जगह भण्डारा चल रहा है। लेकिन कई ऐसे भी भक्त दिखाई दिये जिन्हें भण्डारा से कोई मतलब नहीं था। वे अपनी पोटली खोलकर जो कुछ लाये थे, खाया-पिया और अपने गंतव्य की ओर चल दिये। उनका मानना है कि जो भण्डारा चलते हैं, उसे नहीं खाना चाहिए। क्योंकि अधिकतर लोग पता नहीं किस पैसे (भ्रष्टाचार) से चला रहे हैं। इससे जो हम पुण्य अर्जित करने आए हैं तो पाप के भागी बनेगें। हमारे पास जो कुछ है उसी में संतुष्ट हैं। वहीं, अक्षयवट मार्ग पर स्थित क्रियायोग आश्रम में गुरू सत्यम् योगी अपने भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि मौनी अमावस्या पर्व पर मौन रहकर स्नान और दान करने का बड़ा महत्व है। इस दिन अगर सम्पूर्ण रूप से मौन रहा जाए तो अद्भुत स्वास्थ्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है जिन लोगों को भी मानसिक समस्या, भय या मिथ्याभास की समस्या है, उनके लिए मौनी अमावस्या का स्नान महत्वपूर्ण माना गया है। मौनी अमावस्या के दिन ध्यान साधना करके अंधकार एवं अज्ञानता से को दूर कर उजाला एवं ज्ञान प्रकट कर लेते हैं। उस समय मौन रहकर सारी बातों को व्यक्त कर देते हैं। बोलने की आवश्यकता नहीं होती। वाणी से व्यक्त न कर मौन रह कर ही संवाद होता है। माघ मेला में अव्यवस्थाएं भी नजर आयी। सरकार ने आवागमन की सुविधा के लिए सड़कों का चौड़ीकरण किया है। लेकिन पुलिस द्वारा अपनी व्यवस्था के अनुसार जगह-जगह रास्ता बन्द कर एक ही मार्ग दे दिया जाता है। जिसके कारण भीड़ बढ़ जाती है और आने-जाने वालों को एक-दो किलोमीटर चक्कर काटकर आना-जाना पड़ता है। इससे शहरवासियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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