बैतूल, 17 दिसंबर (हि.स.)। शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण की आगामी फिल्म 'पठान' को लेकर देश-प्रदेश में गहराते विवाद के बीच प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। उन्होंने कहा है कि नारी की शोभा और सम्मान उनके कपड़े है। मेरे भारत भूमि की बेटियां ऐसे परिधान नहीं पहनती हैं, जो पठान फिल्म में दिखाया गया है। फिल्म में भगवा रंग को दिखाकर यह बताना चाह रहे हैं कि इससे दूर रहो। ऐसी फिल्मों को देखना ही नहीं चाहिए। पं. मिश्रा ने दो टूक कहा कि जब तुम कश्मीर देखने नहीं गये तो हम क्यों पठान देखने जाएं।
मां ताप्ती शिवपुराण कथावाचन के लिए बैतूल आए कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा शनिवार सुबह किलेदार एग्रोपार्क में आयोजित पत्रकारवार्ता को संबोधित कर रहे थे। पठान फिल्म में अभिनेत्री द्वारा पहने गये भगवा रंग के वस्त्रों एवं गाने को लेकर चल रहे विवाद पर पूछे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विरोध का कारण सिर्फ इतना है कि फिल्म में भगवा रंग के वस्त्र ही क्यों पहनाए गये। उन्होंने कपड़े पहनाने ही थे तो नीले, हरे, काले रगं के पहनाते। भगवा रंग के कपड़े पहनाकर विरोध का कारण खुद उन्होंने उत्पन्न किया है।
पंडित मिश्रा ने कहा कि यहां किसी को अनावश्यक विवाद करने या बोलने की फुर्सत नहीं है। वे स्वयं सनातन धर्म के व्यक्ति को या जनमानस को बताना चाहते है कि भगवा कपड़ा ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस फिल्म को भारत में प्रदर्शन करने के लिए बनाया जा रहा है उसमें बेटियों का चरित्र कम वस्त्रों में क्यों दिखाया जा रहा है? मेरे भारत भूमि की बेटियां ऐसे परिधान नहीं पहनती है जो फिल्म में दिखाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने तल्ख लहजे में कहा कि ऐसी फिल्मों को तो देखना ही नहीं चाहिए।
संग और बजरंग दल में परिवार के एक युवा को शामिल होने को सही बताया
सनातन धर्म की रक्षा के लिए प्रत्येक परिवार से एक पुत्र को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) या बजरंग दल में जाने को लेकर दिये गये बयान पर लग रहे आरोपों पर पलटवार करते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि संघ एवं बजरंग दल का नाम इसलिए लिया गया कि ये राजनैतिक दल नहीं है और न ही इनसे जुड़े लोग चुनाव लड़ते है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि संघ और बजरंग दल सनातन धर्म की रक्षा के साथ ही आपदा के दौर में मददगार करने वाले संगठन है। दोनों संगठन हमेशा आपदा के दौर में मदद के लिए अलग आते है और कभी राजनीति नहीं करते है। हमेशा सनातन धर्म के लिए रक्षा के लिए कार्य करते हैं।
उन्होंने कहा कि वे किसी पार्टी के नहीं बल्कि सनातनी है और भोलेनाथ के भक्त है। वे सिर्फ धर्म की बात करते हैं। उन्हें किसी पार्टी या राजनीति से कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी, सरकारों और राजनेताओं में तो बदलाव होता रहता है। परंतु व्यास पीठ किसी पार्टी की नहीं इसलिए स्थाई रहती है। पंडित मिश्रा ने दोहराया कि आरएसएस एवं बजरंग दल राजनैतिक दल नहीं बल्कि ऐसे संगठन है जो हमारे दुख और कष्ट के साथ खड़े रहते है। जब भूकंप, बाढ़ या अन्य विपदा आती है तो आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल सहित अन्य हिंदू संगठन आमजन की सुरक्षा में जी जान लगा देते है। तब कोई पार्टी के लोग और राजनेता खड़ा नहीं दिखाई देता है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि यदि उनके बयान से किसी को काली मिर्ची लगती है तो इसमें वे क्या कर सकते है?
बाबा रामदेव के महिलाओं के बिना वस्त्र में भी सुंदर दिखने के बयान पर दिया जवाब
महिलाओं के बगैर वस्त्रों के भी सुंदर लगने के योग गुरू बाबा रामदेव के बयान को लेकर पूछे सवाल के जवाब में कथावाचक पं. मिश्रा ने कहा कि वस्त्र नारी का आभूषण है, सिर को ढांककर रखना या सिर पर पल्लू डालना हमारी संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि रामदेव बाबा ने यह बात किस विचार में बोली है, यह उनके ऊपर है। हमारे यहां नारी की शोभा उनके पूर्ण वस्त्र और 16 श्रृंगार में है। जो माताएं-बहनें बेटियां सिर पर पल्लू रखकर रहती हैं, वे यह भली-भांति जानती है कि उनके मस्तक का पल्लू पूर्वजों और पितरों का आशीर्वाद है।
व्यास पीठ से संतों- धर्माचार्यो द्वारा टीका टिप्पणी करने को लेकर पूछे सवाल के जवाब में पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि सभी धर्माचार्यों- कथावाचकों को किसी भी अन्य धर्म या सम्प्रदाय के प्रति किसी को आपेक्ष करने या ऊंगली उठाने की जरूरत नहीं है। सनातन धर्म को जगाने और राष्ट्र के उत्थान के लिए सभी लोग काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे वेद, पुराण, शास्त्र यह कभी नहीं कहते कि किसी पर ऊंगली उठाई जाये। यदि हम किसी पर एक ऊंगली उठाते है तो तीन ऊंगलियां अपने आप हमारे ऊपर उठती है। हमे अपने अंदर झांककर देखना चाहिए कि हम कैसे है। हमारा सनातन धर्म भी यह नहीं कहता कि किसी के ऊपर ऊंगली उठाई जाये।