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वनाग्नि घटनाओं को रोकथाम के लिए तैयारियां शुरू

राज्य में वनाग्नि की घटनाओं को रोकथाम के लिए वन विभाग की ओर से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। फायर सीजन की शुरुआत 15 फरवरी से हो गई है और 15 जून तक फायर सीजन रहता है। प्रतिवर्ष आगजनी की घटनाओं से करोड़ों रुपये की वन संपदा खाक हो जाती है। प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक ने एक भेंट वार्ता में बताया कि आपदा प्रबंधन के लिए जिला स्तर के अधिकारियों को बैठक कर सभी तैयारियों को दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं। वन विभाग के अधिकारियों की डिविजनल भी फायर सीजन के लिए कई दौर की बैठक हो चुकी हैं। फायर सीजन के लिए फायर वॉचर की नियुक्ति मार्च के पहले सप्ताह से फायर सीजन समाप्त होने तक के लिए की जाती है। उन्होंने जंगलों के आसपास रहने वाले ग्रामीणों से अपील की है कि वह वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए सतर्क रहें। आमतौर पर जंगलों में आग की घटनाएं ग्रामीणों की लापरवाही की वजह से होती है। कई बार कोई बीड़ी पीकर फेंक देता है, तो कोई घास के लिए जंगलों में आग लगाता है। कई बार लोग अपने खेतों में भी आग लगाते हैं तो वह आग जंगल की ओर बढ़ जाती है। ऐसे में जंगल के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों का रोल काफी महत्वपूर्ण होता है। प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक ने बताया कि फायर की कोई भी घटना होती है तो एफएसआई के माध्यम से इसकी जानकारी वन विभाग को अलर्ट मिलती है। फॉरेस्ट एरिया के जिस कंपार्टमेंट में आग लगी है वहां के डीएफओ और अन्य कर्मचारियों को तत्काल इसकी जानकारी दी जाती है।
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