चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से अभियंता तक रहे सामुहिक अवकाश पर
जयपुर, 25 अप्रैल राजस्थान आवासन मण्डल में मण्डल प्रशासन और राज्य सरकार के निर्देशों की पालना से मण्डल के अस्तित्व पर छाए संकट के बादलों के विरोध में मण्डल बचाओं अभियान के तहत राजस्थान आवासन बोर्ड कर्मचारी संघ के बैनर तले संघ के प्रदेशाध्यक्ष दशरथ कुमार के नेतृत्व में कर्मचारियों ने मण्डल मुख्यालय पर एक दिवस का सांकेतिक धरना दिया।
संघ के महामंत्री प्रदीप शर्मा ने आरोप लगाते हुए बताया कि पिछले कुछ समय से मण्डल प्रशासन द्वारा अपनाएं जा रहे तानाशाही रवैये एवं सरकार द्वारा मनमाने ढंग से मण्डल पर थोपे जा रहे आर्थिक भार से मण्डल के अस्तित्व पर छाए संकट के बादलों के कारण आवासन बोर्ड कर्मचारी संघ द्वारा आज एक दिवस का प्रांतव्यापी सांकेतिक धरना लगाकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। मण्डल प्रशासन द्वारा मण्डल की स्थापना जिन उद्देश्यों के लिए की गई थी उनसे परे होकर चौपाटियों का निर्माण एवं रखरखाव, कोंचिग हब का निर्माण जैसे गैर आवासीय कार्यो पर अपना समय बर्बाद किया जा रहा है, जबकि मण्डल की स्थापना गरीब एवं कमजोर वर्ग को छत मुहैया कराने के लिए की गई थी। वर्तमान में मण्डल की जितनी भी परियोजनाएं चल रही है उनमें अधिकांश मण्डल को करोडों रुपये की हानि उठानी पड रही है। अकेले मुख्यमंत्री शिक्षक/प्रहरी योजनाएं ही मण्डल को 45-50 करोड रुपये का घाटा उठाना पड रहा है। इसी तरह एआईएस, मुख्यमंत्री जन आवास योजना आदि अन्य कई परियोजनाओं में भी मण्डल को करोडों रुपये हानि होने की संभावनाएं है।
वर्तमान में मण्डल में लगभग 1000-1200 पद विभिन्न संवर्गो में रिक्त पडे है पिछले वर्ष राज्य सरकार द्वारा उक्त पदों पर नियुक्ति की स्वीकृति जारी करने के बावजूद मण्डल प्रशासन द्वारा शिथिलता बरती जा रही है। रिक्त पदों पर भाई भतीजावाद के तहत एमटीएस/संविदा पर नियुक्तियां की जा रही है जिन्हे मनवाफिक वेतन दिया जा रहा है इनमें अधिकांश कर्मचारी प्रशासन से अपने निजी रिश्तों की दुहाई देकर बिना कार्य किए वेतन उठा रहे है। शेष पदों पर मण्डल एवं अन्य विभागों के सेवानिवृत्त कार्मिकों को संविदा पर रखा जा रहा है। कईयों को राज्य सरकार के प्रतिबंध के बावजूद टेलीफोन, टैक्सिंयों की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। मण्डल के नियमित कार्मिकों को यथोचित पदस्थापन के बजाए मनमाने ढंग से लगाकर उनके सम्मान के साथ खिलवाड किया जा रहा है। यही कारण है कि पिछले दो तीन वर्षो में लगभग 30-40 कर्मचारी-अधिकारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्त ले चुके हैं कुछ को प्रशासन द्वारा आपसी सांठगांठ स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति किए जाने बाद भी पुनः रखा गया है।