ड्रैगन फ्रूट से बढेगी किसानों की आमदनी पूर्वी चंपारण,27 अगस्त(हि.स.)। जिले के किसान कृषि के क्षेत्र लगातार नये प्रयोग कर बेहतर मुनाफा कमा रहे है,साथ ही परंपरागत खेती से निराश हो चुके किसानों को नई राह भी दिखा रहे है।ऐसे प्रयोग करने वालो में सबसे अधिक जिले के युवा किसान है। जो अच्छी तनख्वाह और पोस्ट वाली नौकरी को छोड़कर खेतों की तरफ अपना रुख कर रहे हैं।इन युवाओ का खेती की ओर रूख करने से कृषि क्षेत्र में नयी तकनीक और तरीकों का इस्तेमाल भी बढने लगा है।बिहार के पूर्वी चंपारण जिला के केसरिया प्रखंड स्थित पश्चिमी सरोत्तर पंचायत के अलुवाहां टोला के एक युवा किसान रितेश ने कृषि क्षेत्र में ऐसा ही नया प्रयोग शुरू कर किसानों को एक नया रास्ता दिखाया है। रितेश ने बिल्कुल नई तकनीक से ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे है। जिसे प्रोत्साहित करने जिले के पूर्व डीएम शीर्षत कपिल अशोक समेत कई अधिकारी भी उनके खेत में पहुंच चुके है।
युवा किसान रितेश कुमार बताते है कि इस फसल में केवल एक बार निवेश के बाद पारंपरिक खेती के मुकाबले लगभग 25 वर्षों तक इससे आमदनी होती है। उन्होने बताया कि ड्रैगन फ्रुट की खेती मेरे लिए एक नया अनुभव था।करीब आधे एकड़ खेत में सीमेंट से बने खंबे के सहारे रेड और व्हाइट ड्रैगन फ्रूट की खेती की शुरूआत की है जिससे मुझे साल भर में दो से तीन लाख रुपये की आमदनी हो रही है।
ड्रैगन फ्रूट एक प्रकार की कैक्टस बेल है जो ऊंची जगहों पर इसकी खेती की जाती है वही कैक्टस प्रजाति का होने के कारण पानी भी अधिक नही चाहिए क्योंकी इसका पौधा खुद पानी संचय कर लेता है और एक पौधे से 8 से 10 फल प्राप्त होते हैं। एक फल का वजन तीन सौ से पांच सौ ग्राम होता है। इन फलों की सीजन में दो सौ से चार सौ रुपये प्रति किलो की कीमत मिल जाती है जो फल मण्डी में आसानी से बिक जाता है।
ड्रैगन फ्रूट के पौधों को सहारा देना पड़ता है इसलिए बाकायदा सीमेंट के 52 खंभे बनवाकर लगवाए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे जिले के अन्य किसानों को भी ड्रैगन फ्रूट की खेती करनी चाहिए। इससे किसानों की आमदनी ज्यादा से ज्यादा हो सकती है। उन्होंने बताया कि पूर्वी चंपारण का क्षेत्र का जलवायु और यहां की मिट्टी इसके खेती के लिए अनुकुल है। अगर यहां के किसान सामूहिक रूप से ड्रैगन फ्रूट की खेती करे तो आनेवाले दिनों में यह क्षेत्र ड्रैगन फ्रूट के हब के रूप में तैयार हो सकता है।