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अमेरिकी परियोजना एमसीसी के कार्यान्वयन से ठीक पहले नेपाल में फिर शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन

नेपाल में काफी विवादों में घिरे अमेरिकी विकास परियोजना मिलेनियम चैलेंज कॉर्पोरेशन (एमसीसी) के कार्यान्वयन से ठीक पहले फिर से विरोध शुरू हो गया है। यह विरोध उस समय हो रहा है, जब एमसीसी के कार्यान्वयन पत्र पर हस्ताक्षर करने अमेरिकी सरकार के बडे अधिकारी नेपाल आने वाले हैं।

एमसीसी समझौते को लेकर नेपाल और अमेरिकी सरकार के बीच एक समझौता हुआ है, जिसमें 30 अगस्त से उसके कार्यान्वयन की बात कही गई है। इसको लेकर एमसीसी से जुडे दो बडे अधिकारी मंगलवार को ही नेपाल पहुंच रहे हैं। काठमांडू स्थित अमेरिकी दूतावास के तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि एमसीसी कार्यान्वयन पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए एमसीसी के सीईओ एलीस अलब्राईट और उपाध्यक्ष कैमरून अलफर्ड 29 अगस्त से नेपाल भ्रमण पर रहेंगे। इस दौरान नेपाली पक्ष के साथ एमसीसी कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए औपचारिक रूप से इस परियोजना की शुरूआत होगी।

माओवादी पार्टी केसचिव लीलामणि पोखरेल ने किसी भी कीमत पर इसको कार्यान्वयन से रोकने की चेतावनी दी है। काठमांडू में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में पोखरेल ने कहा कि इंडो पैसेफिक से जुड़े होने के कारण इसका कार्यान्वयन नहीं किया जा सकता है। इतना ही नहीं, माओवादी पार्टी के सचिव ने यहां तक कह दिया कि इस परियोजना की आड़ में नेपाल की भूमि प्रयोग कर चीन को घेरने का अमेरिकी षडयन्त्र है।

सत्तारूढ़ मोर्चा में आबद्ध एक और नेता नेत्र विक्रम चन्द ‘विप्लव’ ने भी खुल कर एमसीसी का ना केवल विरोध करना शुरू किया है, बल्कि उनके कार्यकर्ता काठमांडू सहित देश के अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं। विप्लव ने कहा है कि एमसीसी एक राष्ट्रघाती समझौता है, जो नेपाल के हित में नहीं है। उनका तर्क है कि नेपाल को अमेरिकी सैन्य अखाडा बनाने के लिए एमसीसी नेपाल पर जबरदस्ती लादा जा रहा है। इससे नेपाल को अमेरिकी इंडो पैसेफिक सैन्य गठबन्धन में लाने का प्रयास है।

अमेरिकी दूतावास का कहना है कि जमीन अधिग्रहण का मामला नेपाल सरकार सरकार को देखना है। समय पर अधिग्रहण नहीं हो पाया, तो इससे नेपाल पर ही आर्थिक भार बढेगा। इसलिए जल्द से जल्द जमीन अधिग्रहण वाला मामला सुलझा लेने में ही नेपाल की भलाई है।

विरोध के स्वर के बीच सरकार के उपप्रधानमंत्री तथा रक्षा मंत्री पूर्ण बहादुर खड्का ने कहा कि अब एमसीसी का विरोध करने का कोई फायदा नहीं है। नेपाल की संसद से दो तिहाई बहुमत के साथ एमसीसी को नेपाल में लागू करने के लिए प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। उनका कहना है कि सत्ता से जुड़े नेताओं और राजनीतिक दलों को एमसीसी के विरोध का नैतिक आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार का काम संसद से पारित प्रस्ताव को कार्यान्वित करने का है।


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