काठमांडू, 22 नवंबर (हि.स.)। नेपाल की ओली सरकार ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव (बीआरआई) प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन समझौते पर सहमति बनाने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन के दो प्रमुख दलों के नेताओं की एक टास्क फोर्स का गठन किया है। इस टास्क फोर्स को तीन दिनों के भीतर एक साझा समझौते का ड्राफ्ट बनाने की जिम्मेदारी दी गई है।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और नेपाली कांग्रेस के सभापति शेर बहादुर देउबा की सहमति से दोनों दलों के दो-दो नेताओं का टास्क फोर्स गठित किया गया है। इस टास्क फोर्स में ओली की पार्टी सीपीएन (यूएमएल) की तरफ से प्रधानमंत्री के प्रमुख सलाहकार विष्णु रिमाल और प्रधानमंत्री के ही आर्थिक मामलों के सलाहकार डा. युवराज खतिवडा को रखा गया है जबकि नेपाली कांग्रेस की तरफ से पार्टी महामंत्री गगन थापा और एक अधिवक्ता सीमांत दहाल को रखा गया है। थापा ने बताया कि प्रधानमंत्री ओली ने चीन की तरफ से समझौते का जो ड्राफ्ट आया है उसका अध्ययन कर अंतिम ड्राफ्ट बनाने को कहा है।
बीआरआई के अंतर्गत चीन सरकार की तरफ से 2.5 प्रतिशत से लेकर 5 प्रतिशत तक के ब्याज दर पर सिर्फ 15 वर्षों के लिए ऋण दिया जाता है। इसमें भी उनकी शर्त यह होती है कि बीआरआई के अंतर्गत आने वाले सभी परियोजना का ठेका चीन की ही कंपनी को मिलेगा और वहां काम करने वाले मजदूरों से लेकर ऊपर के सभी कर्मचारी चीनी ही होंगे।
नेपाल में चीन के बीआरआई का इसलिए विरोध हो रहा है क्योंकि ऐसे पूर्वधार निर्माण के लिए विश्वबैंक, एशियाई विकास बैंक, अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष साहित भारत, अमेरिका और अन्य सभी देश नेपाल के विकास के लिए अनुदान देते हैं। इन सभी की तरफ से नेपाल को ऋण पर ब्याज की दर 0.25 से 0.5 प्रतिशत तक ही रहता है जबकि इसको वापस करने की अवधि न्यूनतम 45 से 50 वर्ष होता है। ऐसे में चीन से महंगे ब्याज दर पर अल्पावधि का ऋण लेने से देश की आर्थिक व्यवस्था चरमरा सकती है।
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