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ज्ञानवापी परिसर में माता श्रृंगार गौरी का संतों ने किया दर्शन-पूजन

वाराणसी,28 जनवरी (हि.स.)। माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर शनिवार को संतों ने ज्ञानवापी परिसर में स्थित माता श्रृंगार गौरी का विधिवत दर्शन पूजन किया। अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती के नेतृत्व में संतों ने ज्ञानवापी के पश्चिमी दीवार में स्थित मां श्रृंगार गौरी के विग्रह की पूजा की। साथ ही ज्ञानवापी की ओर मुख किए नंदी महाराज का भी जलाभिषेक किया। मंदिर में दर्शन पूजन के बाद जितेंद्रानंद सरस्वती ने श्री रामचरितमानस पाठ भी किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब से औरंगजेब ने विश्वनाथ मंदिर को तोड़ा, तब से काशी के कथा व्यास व साधु-संत बाबा विश्वनाथ को रामकथा सुनाते रहे हैं। यह अनुष्ठान सैकड़ों वर्ष से होता रहा है। इसमें एक कथा कार्तिक व एक कथा माघ मास में होती है। दोनों कथा के दौरान दो—दो बार कुल पॉच बार वर्ष में मां श्रृंगार गौरी का दर्शन होता है। इसमें एक कथा माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी से प्रारंभ होकर पूर्णिमा को समाप्त होती है। इसका उद्घाटन व समापन सर्वप्रथम मां श्रृंगार गौरी, प्रतीक्षारत नंदी व अंत में बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन से होता है। यह परंपरा वर्षों से चल रही है। उन्होंने कहा कि 65 वर्षों का रिकार्ड सरकार के पास है। उन्होंने कहा कि श्रृंगार गौरी के पूजन अर्चन में कोई रोक टोक नहीं हो सकती। परंपरा को तोड़ नहीं सकते। जिन लोगों ने कोर्ट में मुकदमा किया है, उन्होंने भी यह माना है कि 1993 तक पूजन होता था। उसके बाद परंपरा टूटी है। सार्वजनिक पूजन की ये परम्परा फिर से शुरू होनी चाहिए।
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