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कम लागत में अच्छी आमदनी के लिए गर्मियो में करे तिल खेती

मोतिहारी,05 अप्रैल।गर्मी के मौसम में कॉपर, मैंगनीज,कैल्शियम, फॉस्फोरस,मैग्नीशियम, लोहा, जिंक, मोलिब्डेनम,विटामिन बी सेलेनियम और डायट्री फाइबर से भरपूर तिल की खेती से किसानो के लिए काफी लाभप्रद है।उक्त जानकारी जिले के पिपरा कोठी कृषि विज्ञान केन्द्र के वरीय वैज्ञानिक डा.अरविन्द कुमार सिंह ने देते हुए हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि गर्मियों में कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए तिल की खेती काफी आसान है।ऐसे तो साल में तीन बार इसकी बुवाई होती है,लेकिन तिल का बेहतर उत्पादन गर्मी के मौसम में अधिक होता है,क्योंकि इस मौसम में कीटों और अन्य बीमारियों का प्रकोप बहुत कम होता है। बताया गया कि तिल विश्व एकमात्र तिलहनी फसल है,जिसमे 45 से 50% तिल निकाला जाता है।वही तेल के साथ पौष्टिकता से परिपूर्ण होने के कारण इसका वैश्विक मांग भी ज्यादा है।तिल को लंबे गर्म मौसम के साथ उष्ण कटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके पौधे की वृद्धि गर्म जलवायु में तेजी से होती है।काली या हल्की बलूई दोमट मिट्टी के साथ अच्छी जल निकासी वाली और बेहतर पीएच मान की भूमि इसके लिए अनुकूल होते है।पौधो की अधिक बढ़वार के लिए 25 से 27 डिग्री का तापमान अच्छा होता है साथ ही इसके पौधे 40 डिग्री सामान्य तापमान आसानी से सहन कर लेते हैं। -कैसे करे खेत की तैयारी खेत की गहरी जुताई और समतल करे।अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें। -तिल की उन्नत किस्मे टी.के.जी. 21 यह किस्म 80 से 85 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है और यह लगभग 6 से 8 किण्टवल प्रति हेक्टैयर पैदावार देती है। टी.के.जी. 22, जे.टी. 7, 81,27, 75 से 85 दिनों पक कर तैयार हो जाती है, 30 से 35 दिनों में इस पर फूल आने शुरु हो जाते है और 8 से 10 प्रति हेक्टैयर की पैदावार होती है।इसके साथ ही टी.सी. 25, आर.टी. 46, टी. 13, आर. टी. 125, टी. 78, आर. टी. 127, आर. टी. 346, वी आर आई- 1, पंजाब तिल 1, टी एम वी- 4, 5, 6, चिलक रामा, गुजरात तिल 4, हरियाणा तिल 1, सी ओ- 1, तरुण, सूर्या, बी- 67, प्यायूर- 1, शेखर और सोमा किस्म भी उन्नत माने गये है। -बुवाई का समय गर्मियों के मौसम में किसान इसकी बुवाई मार्च से लेकर अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक कर सकते है। -कितना रखे बीज की मात्रा छिड़काव विधि से बुवाई के लिए 5 से 6 किलो ग्राम प्रति हेक्टैयर बीज की जरूरत होती है वही लाइन में बुवाई करने पर 4 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टैयर बीज की जरूरत होती है। -खाद और उर्वरक तिल की अधिक उपज के लिए जैविक खाद के साथ बुवाई से पूर्व 250 किलो जिप्सम का प्रयोग करे। -तिल की सिंचाई व कीट नियंत्रण ज्यादा गर्मी में इसकी सिंचाई 8 से 10 दिनों में करनी चाहिए। वही कीटों से सुरक्षा के लिए फसल में जैविक कीट नियंत्रण जैसे नीम का तेल,अग्नियास्त्र पर बल दें क्योंकि रसायनिक कीट नियंत्रण में फसल की लागत बढऩे के साथ-साथ फसल की गुणवत्ता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।नीम आधारित एजेडिरीक्टीन की 3 मिली मात्रा प्रति लीटर के दर से फसल पर छिडक़ाव करें अथवा नीम का तेल 10 मिली प्रति लीटर पानी के दर से छिडक़ाव करें। तिल के साथ मूँग की मिश्रित खेती करने से फसल में कीटों का प्रकोप कम होता है और पैदावार बढ़ जाती है।
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