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शहीद स्मारक का निर्माण जल्द अम्बाला छावनी में किया जाएगा।

हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि अम्बाला छावनी में सन् 1857 की क्रांति के शहीदों को समर्पित शहीद स्मारक का निर्माण जल्द अम्बाला छावनी में किया जाएगा। इसका सिविल वर्क पूरा हो चुका है जबकि इंटीरियर का कार्य आगामी महीनों में पूरा कर लिया जाएगा।

श्री विज सोमवार रात अम्बाला शहर के पीकेआर जैन सीनियर सेकेंडरी स्कूल के सभागार में आहलूवालिया पंचायत हरियाणा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में इतिहासकार तेजिन्द्र वालिया द्वारा लिखित पुस्तक अम्बाला की दास्तां 1857, अम्बाला-ए-दास्तान (सागा ऑफ अम्बाला) के विमोचन अवसर पर लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आजादी के इन अनसंग हीरो की याद में शहीद स्मारक बनाने की मांग सन् 2000 से विधानसभा में उठाते आ रहे थे लेकिन सरकारें बदलती रही लेकिन इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने काग्रेंस पर इतना प्रेशर बना दिया था कि अनसंग हीरों की याद में कोई स्मारक बनाया जाए, इसके लिए फाउंडेशन स्टोन रखने की तिथि भी निश्चित होगी थी लेकिन काग्रेंस ने इस विषय पर कोई कार्य नहीं किया तथा बड़े ही दुख की बात है कि आजादी के अनसंग हीरों की याद में कहीं कोई गीत नहीं गाया गया।

उन्होंने कहा कि जब हमारी सरकार आई और उन्होंने अपने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने यह बात रखी तो उन्होंने तुरंत सहमति दे दी। आज अम्बाला छावनी में जीटी रोड़ के नजदीक करोडों रूपये की राशि से आजादी की पहली लडाई का बहुत बड़ा सुंदर शहीद स्मारक बन रहा है जिसका सिविल वर्क पूरा हो चुका है। यहां पर हैलीपैड की भी व्यवस्था की जायेगी। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान के पांच टॉप इतिहासकारों की एक कमेटी बनाई है जोकि सारा इतिहास लिख रहे हैं। अम्बाला छावनी में बन रहे शहीद स्मारक के प्रथम चरण में आजादी की लड़ाई अम्बाला छावनी से शुरू हुई जिसके बारे में बताया जायेगा। दूसरे चरण में सारे हरियाणा में किस-किस स्थान पर क्रांति की चिंगारी उठी तथा तीसरे हिस्से में रैस्ट ऑफ इंडिया तात्यां टोपे, झांसी की रानी, बहादुर शाह जफर आदि के बारे में बताया जायेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि इतिहासकार तेजिन्द्र सिंह वालिया द्वारा अपनी पुस्तकों के माध्यम से 1857 की क्रांति में अम्बाला का जो इतिहास रहा है उसका भी जो इतिहासकारों द्वारा जो स्क्रीप्ट लिखी जा रही है उसमे जिक्र किया जायेगा तथा तेजिन्द्र सिंह वालिया को वह सैल्यूट करते हैं जिन्होंने मेहनत करके इस पुस्तक को लिखने का काम किया है।

उन्होंने इस मौके पर यह भी कहा कि 1857 की क्रांति की चिंगारी अम्बाला से उठी थी, इस बारे हरियाणा के सभी स्कूलों के पाठयक्रम में लिखने का काम किया जायेगा। हम तो चाहते हैं कि 1857 की क्राति से जुडे एक-एक क्रांतिकारी का पता चल सके और उनकी शहादत को याद किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि जो भी आजादी के लिए एक कदम चला है और उसने सहयोग किया है, उसको हम नमन करते हैं। उन्होने यह भी कहा कि जो कौमें क्रांतिकारियों को भुला देती हैं वो फना हो जाती है, उनका आस्तित्व नहीं रहता है।

गृह मंत्री का अभिनंदन किया आहलूवालिया पंचायत ने

इससे पहले कार्यक्रम में पहुंचने पर गृह मंत्री अनिल विज का इतिहासकार सरदार तेजिन्द्र सिंह वालिया व आहलूवालिया पंचायत हरियाणा के पदाधिकारियों ने मुख्य अतिथि को पुष्प गुच्छ, शाल भेंट कर, स्मृति चिन्ह देकर व पगड़ी पहनाकर उनका भव्य अभिनंदन किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि ने दीपशिखा प्रज्वलित करके किया। मंत्री अनिल विज ने इस मौके पर इतिहासकार सरदार तेजिन्द्र सिंह वालिया द्वारा बहुत मेहनत करके व इतिहास के अनुरूप तथ्यों सहित 1857 की क्रांति पर जो पुस्तकें लिखी हैं उसकी सराहना की। उन्होंने कहा कि अम्बाला की दास्तां 1857 की पुस्तक हिन्दी में लिखी गई है, सागा ऑफ अम्बाला इंग्लिश में लिखी गई है तथा इन पुस्तकों के माध्यम से 1857 की क्रांति के दौरान हरियाणा में क्या-क्या हुआ, अम्बाला का इस क्रांति में क्या इतिहास रहा है, इसका विवरण है तथा ये पुस्तकें 1857 की क्रांति के अनसंग हीरोज को श्रद्धांजली देने का काम करेंगे।

कांग्रेस के जन्म से 28 साल पहले लड़ी गई थी आजादी की लड़ाई:-अनिल विज

गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि देश की आजादी के लिए अनसंग हीरोज ने अपने प्राणों को न्यौछावर किया है, उनकी याद में कोई गीत नहीं गाया गया। मेरठ से भी 10 घंटे पहले 10 मई 1857 को क्रांतिकारियों ने हथियार लेकर अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल बजा दिया था। यह सब चीजें हम से छुपाई गई। क्रांति से जुड़े इतिहास के दस्तावेजों को हमारे से छुपाया गया। हमें यही पढ़ाया गया कि आजादी की लड़ाई काग्रेंस ने लड़ी थी लेकिन काग्रेंस का जन्म ए ओ हयूम ने 1885 में किया था जबकि इससे 28 साल पहले 1857 में यहां पर आजादी की अलख यहां के लोगों ने जगा दी थी यानि हमारे हिन्दुस्तानियों में आजाद रहने और आजाद होने का जज्बा बहुत पहले से था।

उन्होने कहा कि बहुत सारे ऐसे तथ्य मिले हैं कि 1857 की क्रांति सबसे पहले अम्बाला छावनी से शुरू हुई थी। यह क्रांतिकारियों की धरती है और इस धरती पर ही क्रांति की अलख सबसे पहले जगी थी। यह तथ्यों से साबित हो गया है। उन्होंने कहा कि 10 मई 1857 को क्रांति क्यों हुई, क्योंकि उस दिन रविवार का दिन था, सारे अंग्रेज एक चर्च में एकत्रित होने थे और समय परेयर के दौरान उन पर हमला बोलने की योजना था और उसके बाद दिल्ली कुच किया जाना था लेकिन अंग्रेजों को इसका क्रांति का पता चल गया और इस बारे श्याम सिंह सिपाही ने इसका जिक्र किया था। इस बात बारे उस समय के यहां के अंग्रेज डिप्टी कमीशनर की चिटठी मिली है जिसमें उन्होंने 9 तारीख का जिक्र किया है कि क्रांति शुरू हो चुकी है और होने जा रही है।

गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने इतिहासकार तेजिन्द्र सिंह वालिया द्वारा लिखित पुस्तकों की एक बार फिर भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होने इन पुस्तकों के माध्यम से क्रांति से जुड़े बलिदानों के बारे में जिक्र करने का काम किया गया है, जिसके लिए वे हरियाणा सरकार की ओर से उनका व उनकी पत्नी का आभार प्रकट करते हैं। आज का दिन एतिहासिक भी है। इस मौके पर इतिहासकार तेजिन्द्र सिंह वालिया, उनकी धर्मपत्नी दीप वालिया, संजीव वालिया, अजय वालिया, हरपाल सिंह पाली, दिलबाग सिंह दानीपुर, सुरेन्द्र तिवारी, गुरमीत कौर, जसदीप बेदी, अमन सूद, मनजीत कौर, एडवोकेट जसमेर चंद, एडवोकेट नम्रता गौड़, रणबीर सिंह फौजी, आर.पी. सिंह, बलजिन्द्र सिंह के साथ-साथ आहलूवालिया पंचायत के पदाधिकारीगण, सदस्यगण व अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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