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शारदीय नवरात्रि आज से, घटस्थापना के साथ विराजेंगी मां आदिशक्ति

भोपाल, 15 अक्टूबर (हि.स.)। मां आदिशक्ति को समर्पित नौ दिवसीय शारदीय नवरात्रि का पर्व आज (रविवार) से शुरू हो रहा है। देशभर के साथ-साथ मध्य प्रदेश में भी शुभ मुहूर्त में घटस्थापना के साथ मां आदिशक्ति की प्रतिमाएं विराजित की जाएंगी। सुबह से ही श्रद्धालु माता की भक्ति में लीन दिखे। मंदिरों में खास साज-सज्जा की गई है। इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं, जिसे शुभ संकेत माना जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार, हाथी को बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। ज्योतिष संस्थान भोपाल के ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम ने बताया कि नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाएगी। नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर मंत्रोच्चार, वैदिक अनुष्ठानों के साथ कलश में मां दुर्गा का आव्हान किया जाता है, इसे घटस्थापना कहते हैं। घटस्थापना शुभ मुहूर्त में ही की जाती है, इससे मां दुर्गा नौ दिन तक घर में वास करती हैं। कलश स्थापना का महत्व: कलश स्थापना का अर्थ है नवरात्रि के वक्त ब्रह्मांड में मौजूद शक्ति तत्व का घट यानी कलश में आह्वान करना। शक्ति तत्व के कारण घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है। नवरात्रि के पहले दिन पूजा की शुरुआत दुर्गा पूजा के लिए संकल्प लेकर ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) में कलश स्थापना करके की जाती है। कलश को सुख और समृद्धि देने वाला माना गया है। घर में रखा कलश माहौल भक्तिमय बनाता है। इससे पूजा में एकाग्रता बढ़ती है। कलश को भगवान गणेश का रूप भी माना जाता है, इससे कामकाज में आ रही रुकावटें भी दूर होती हैं। घटस्थापना की विधि: नवरात्रि के पहले दिन सुबह स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहनें। पूजा का संकल्प लें। मिट्टी की वेदी पर जौ को बोएं, कलश की स्थापना करें, गंगा जल रखें। इस पर कुल देवी की प्रतिमा या फिर लाल कपड़े में लिपटे नारियल को रखें और पूजन करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि कलश की जगह पर नौ दिन तक अखंड दीप जलता रहे। पंडित गौतम ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। उन्होंने बताया कि शारदीय नवरात्रि का समापन 23 अक्टूबर 2023 को होगा और 24 अक्टूबर को विजयादशमी पर मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन होगा। ऐसे में शारदीय नवरात्रि पूरे नौ दिन मनाए जाएंगे। इस साल किसी भी तिथि का क्षय नहीं है। उन्होंने बताया कि पंचांग के अनुसार आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 को रात 11.24 मिनट पर होकर 16 अक्टूबर 2023 को प्रात: 12.03 मिनट पर समाप्त होगी। एक इस साल 10.30 बजे से पहले और दोपहर 1.30 बजे के बाद कलश स्थापना अति उत्तम माना जा रहा है। वहीं, सुबह 11 बजकर 38 मिनट से दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त है। व्रत में इन बातों का ध्यान रखें: नवरात्रि में वैसे तो नौ दिनों तक बिना अन्न खाए सिर्फ फल खाकर उपवास करने का विधान है, लेकिन इतने कठिन नियम पालन नहीं हो सकते तो दूध और फलों का रस पीकर भी व्रत किया जा सकता है। इतना भी न किया जा सके तो एक वक्त खाना खाकर व्रत कर सकते हैं या पूरे नौ दिनों तक बिना नमक का भोजन करने का भी नियम ले सकते हैं। नवरात्रि में व्रत-उपवास के दौरान लहसुन, प्याज, तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला और किसी भी तरह का नशा नहीं करना चाहिए। इन दिनों गुस्सा करने और झूठ बोलने से भी बचना चाहिए।
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