मनरेगा के तहत हुए हुए कार्यों के करोड़ों रुपये का भुगतान रुक गया है, जिससे विषम परिस्थितियां उत्पन्न हो गई है। अपने लंबित भुगतान के लिए विभिन्न फर्मों के प्रतिनिधि प्रधान से लेकर अधिकारियों के यहां चक्कर काट रहे हैं। गांवों में कई निर्माण जहां अधर में लटक गई है, वहीं मजदूरों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। भुगतान लंबित होने के पीछे कई तकनीकी खामियां बताई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि पिछले वित्तीय वर्ष का समाप्त हुए चार माह का समय व्यतीत हो रहा है। मनरेगा के तहत हुए कार्यों की फीडिंग हो चुकी है। किंतु उनका भुगतान नहीं हो पा रहा है। लंबित भुगतान में 6.56 लाख का भुगतान श्रमिकों का है। इसमें सर्वाधिक 40 करोड़, चार लाख, छह हजार का भुगतान सामग्री का है। सभी मिलाकर जनपद में 44 करोड़, 43 लाख रुपये का भुगतान लंबित है। बीते वित्तीय वर्ष में ही इन भुगतान की ऑनलाइन फीडिंग हो चुकी है। कुछ गांवों में सामग्री आपूर्ति का एक साल से भुगतान नहीं हुआ है। जिसके कारण गांव मनरेगा का पक्का कार्य ठप पड़ा है। सामग्री आपूर्ति करने वाली एजेंसियां भुगतान के लिए ग्राम प्रधान और अधिकारियों के चक्कर लगा रही हैं, किंतु उन्हें भुगतान नहीं प्राप्त हो पा रहा है।
बताया जाता है कि इनका भुगतान निर्गत करने में शासन स्तर से ही कुछ तकनीकी खामी है। जिसके कारण भुगतान रुका हुआ है। एजेंसियों का भुगतान रुकने के कारण कई गांव में विवाद की स्थिति भी पैदा हो गई है। गांव में मनरेगा के तहत नाली खड़ंजा का निर्माण भी होना है। पिछला भुगतान लंबित होने के कारण एजेंसियां सामग्री की आपूर्ति नहीं कर रही हैं। जिसके कारण पक्के कार्य का निर्माण भी रुका हुआ है। इधर बरसात हो जाने के कारण कच्चा काम भी बंद है। जिससे लोगों को रोजगार भी नहीं मिल पा रहा है।