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कच्चतीवु द्वीप पर गरमाई राजनीति

भारत की ओर से कच्चतीवु द्वीप श्रीलंका को दिए जाने का मुद्दे ने लोकसभा चुनाव खासकर तमिलनाडु की राजनीति को गरमा दिया है। रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच मौजूद इस द्वीप को इंदिरा गांधी सरकार ने श्रीलंका को दे दिया था। एक आरटीआई में इसकी जानकारी सामने आने के बाद मुद्दा फिर से सुर्खियों में है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संबंध में एक समाचार साझा कर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस भरोसे के लायक नहीं है। प्रधानमंत्री ने एक समाचार साझा करते हुए सोशल मीडिया पर कहा कि यह बात आंखें खोलने वाली और चौंका देने वाली है। नए तथ्यों से पता चलता है कि कैसे कांग्रेस ने लापरवाही करते हुए कच्चतीवु को छोड़ दिया। इससे हर भारतीय नाराज है और लोगों के मन में यह बात बैठ गई है कि हम कांग्रेस पर कभी भरोसा नहीं कर सकते! भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना 75 वर्षों से कांग्रेस का काम करने का तरीका रहा है। विदेश मंत्री ने भी प्रधानमंत्री के बाद इस पर अपने विचार रखे। उनका कहना है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोग हमारे अतीत के बारे में पूरी सच्चाई जानें। तथ्यों पर आधारित इस लेख का सरोकार प्रत्येक नागरिक से होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि कच्चदीवु रामेश्वरम से 20 किमी की दूरी पर स्थित एक निर्जन द्वीप है, जहां केवल एक चर्च मौजूद है। द्वीप 1974 तक भारत के पास था। इसके बाद इसे श्रीलंका को दे दिया गया। एक अंग्रेजी समाचार पत्र में इससे जुड़ी कहानी को विस्तार से साझा किया गया है जिसपर प्रधानमंत्री ने आज टिप्पणी की।
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