उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने देश भर के स्कूलों में ट्रांसजेंडर समावेशी यौन शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र सरकार, एनसीईआरटी और छह राज्यों से जवाब तलब किया है।
यह याचिका दिल्ली की वसंत वैली स्कूल की 12वीं की छात्रा काव्या मुखर्जी साहा ने दायर की है। याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि एनसीईआरटी और एससीईआरटी की किताबों में अभी तक आयु के मुताबिक और ट्रांसजेंडर समावेशी व्यापक यौन शिक्षा को समावेशित नहीं किया गया है। इस पर कोर्ट ने महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, तमिलनाडु और कर्नाटक को नोटिस जारी किया है।
याचिका में कहा गया है कि जब तक बच्चों को शुरुआती शिक्षा से ही जेंडर की संवेदनशीलता और विविधता के बारे मे नहीं बताया जाएगा, तब तक समाज में समानता और स्वीकार्यता लाना मुश्किल होगा। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में ट्रांसजेंडर समावेशी शिक्षा को लागू करने का आदेश दिया था। लेकिन इस आदेश को आज तक लागू नहीं किया गया।
याचिका में कहा गया है कई एससीईआरटी ने भी अब तक ट्रांसजेंडर पर्सन्स एक्ट के तहत किए गए अनिवार्य प्रावधानों को लागू नहीं किया है। इस कानून के तहत ट्रांसजेंडर लोगों के लिए समावेशी शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने का साफ प्रावधान है।