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राष्ट्रीय कृषि बाजार का सपना होने लगा साकार

पुणे, 10 फरवरी (हि.स.)। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी का मानना है कि उनके मंत्रालय की अनूठी योजना को लेकर कृषि उपजों के कारोबार के लिए वन नेशन-वन मार्केट की व्यवस्था ई-नाम परवान पर है। देशभर की हजार से ज्यादा मंडियां इससे जुड़ चुकी हैं। लगभग 1.72 करोड़ किसान, 1.98 लाख कारोबारी और 99 हजार से ज्यादा कमीशन एजेंट इस प्लेटफॉर्म पर कृषि उपज की खरीद-फरोख्त से जुड़े हैं। 21 राज्यों में फैले ई-नाम प्लेटफॉर्म पर 150 से ज्यादा कृषि उपज की खरीद-बिक्री होती है। राष्ट्रीय कृषि बाजार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। अकेले महाराष्ट्र के 260 किसान उत्पादक संगठन, 20,340 कारोबारी, 16 हजार से ज्यादा कमीशन एजेंट इससे जुड़े हैं। खरीदारों तक पहुंच ई-नाम प्लेटफॉर्म का मकसद किसानों-कारोबारियों और खरीदारों को एक मंच पर लाना है। व्यापारी कहीं से भी सौदा कर सकते हैं और किसानों को उनकी उपज का भुगतान कर सकते हैं। कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार देश में 2,700 कृषि उपज मंडियां (एपीएमसी) और 4 हजार उप-बाजार हैं। ई-नाम प्लेटफॉर्म से एक हजार से ज्यादा मंडिया जुड़ चुकी हैं। एक प्लेटफॉर्म पर 1000 मंडिया ई-नाम प्लेटफॉर्म से 21 राज्यों की 1000 से ज्यादा मंडियां जुड़ी हैं। सबसे ज्यादा 144 मंडियां राजस्थान की हैं। यूपी की 125 तो गुजरात की 122 मंडियां हैं। मध्य प्रदेश की 80, छत्तीसगढ़ की 14 और महाराष्ट्र की 118 मंडियां इससे जुड़ी हैं। किसानों को फायदा चौधरी के निजी सचिव राजेश भाई के अनुसार यह प्लेटफॉर्म किसानों के लिए फायदेमंद है। इस पर पंजीकृत किसान ऊंचे भाव पर उपज बेच सकते हैं। राजस्थान का किसान केरल के खरीदार को ऑनलाइन अपनी उपज बेच सकता है और कर्नाटक का किसान राजस्थान के किसान से अनाज ले सकता है। किसान के बैंक खाते में सीधा भुगतान मिलता है।
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