जयपुर/ अलवर, 14 जून (हि.स.)। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति के आलोक में इस तरह के पाठ्यक्रम निर्मित हों जिनसे युवा स्वरोजगार के लिए ही प्रेरित नहीं हों बल्कि उनकी दृष्टि व्यापक हों। उन्होंने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक विश्वविद्यालय में संविधान पार्क की स्थापना की गयी है। इसका उद्देश्य यही रहा है कि उच्च शिक्षा के साथ-साथ युवा संविधान की संस्कृति से प्रत्यक्ष जुड़ सके।
मिश्र शुक्रवार को राज ऋषि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय अलवर के चतुर्थ दीक्षांत समारोह और वहां निर्मित संविधान उद्यान के लोकार्पण में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संविधान सर्वाेच्च है। भारतीय संविधान मानवीय अधिकारों और कर्तव्यों का वैश्विक दस्तावेज है। उन्होंने नई पीढ़ी को संविधान प्रदत्त कर्तव्यों की पालना के लिए प्रतिबद्ध रहते हुए राष्ट्र निर्माण में भूमिका सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
राज्यपाल ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के शिक्षा दर्शन को स्मरण करते हुए कहा कि हमारे यहां व्यष्टि की बजाय समष्टि पर जोर है। शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जो समय और देश की परिस्थितियों के अनुकूल हो। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी केवल अपने लिए नहीं प्राप्त शिक्षा का संपूर्ण समाज के हित के लिए उपयोग करे। उन्होंने अलवर के इतिहास और पौराणिक संदर्भों के आलोक में विश्वविद्यालय द्वारा शोध और अनुसंधान की नई राहों का निर्माण किए जाने, विश्वविद्यालय में भर्तृहरि शोध पीठ स्थापित करने और स्थानीय भाषा, साहित्य, संस्कृति और जीवन के संदर्भों में भारतीय संस्कृति की समृद्धता के लिए कार्य करने पर भी जोर दिया।
मिश्र ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य और अभ्यास मनुष्य-निर्माण ही होता है। विश्वविद्यालय ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करें जिनसे युवा भारत के सुनहरे भविष्य के लिए कार्य कर सके।