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चैत्र नवरात्रः मां अन्नपूर्णा और मंगला गौरी के दरबार में आस्था की कतार

वाराणसी, 29 मार्च। वासंतिक चैत्र नवरात्र के आठवें दिन बुधवार को श्रद्धालुओं ने मंगला गौरी और महागौरी मां अन्नपूर्णा के दरबार में पूरे श्रद्धा के साथ हाजिरी लगाई। विधि विधान से दर्शन पूजन किया। महाअष्टमी पर मां दुर्गा के नौगौरी के आठवें स्वरूप मंगला गौरी और नवदुर्गा स्वरूप महागौरी अन्नपूर्णा के दरबार में आधी रात के बाद से ही श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित माता अन्नपूर्णा के मंदिर में पीठाधीश्वर महंत शंकरपुरी महाराज ने भोर में देवी के विग्रह को पंचामृत स्नान कराया। विग्रह को नूतन वस्त्र, आभूषण एवं अलंकार के साथ अड़हुल के 108 फूलों वाली माला अर्पित कर श्रृंगार किया। भोग लगाने के बाद उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महाआरती की। इसके बाद मंदिर के पट भक्तों के लिए खोल दिए गए। भोर से ही दर्शनार्थियों की कतार दर्शन के लिए लगी रही। श्रद्धालुओं ने दरबार में 11 से 108 बार तक परिक्रमा (फेरी) की। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से महागौरी की पूजा की जाए तो सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। माता की कृपा से समस्त लौकिक-अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इसी क्रम में नौ गौरी के पूजन के लिए श्रद्धालु पंचगंगा घाट के समीप स्थित मंगला गौरी के दरबार में पहुंचे। मंगलकारिणी मंगला गौरी के दरबार में दर्शन पूजन के लिए लोगों का तांता लगा रहा। भोर में मंदिर के महंत के सानिध्य में अर्चकों ने देवी के विग्रह को पंचामृत स्नान कराने के बाद नूतन वस्त्र, आभूषण एवं अलंकार धारण कराया। इसके बाद भोग अर्पित कर महाआरती की। काशी में मां मंगला गौरी को सुहाग की देवी के रूप में पूजा जाता है। ऐसे में सुहागिन महिलाओं ने देवी को नारियल और अड़हुल की माला के अतिरिक्त सुहाग की निशानियां भी समर्पित कर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मांगा। मंगला गौरी के मंदिर में भी गौरीगभस्तीश्वर महादेव का मंदिर भी है। भगवान सूर्य ने यही तपस्या की थी। तपस्या के दौरान भगवान सूर्य के पसीने से ही यहां किरणा नदी का उद्गम हुआ था। किरणा पंचगंगा की पांच नदियों में से एक है। पंचगंगा में शेष नदियां गंगा, यमुना, सरस्वती और धूतपापा हैं। अष्टमी तिथि पर व्रतियों ने कन्या पूजन कर व्रत का पारायण भी किया।
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